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Sahitya Arpan Competition - संस्मरण आयोजन 2021
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संस्मरण आयोजन 2021

Competition Stats

  • #Entries 7

  • #Likes 16

  • Start Date 20-Jun-21

  • End Date 30-Jun-21

  • Competition Information/Details

    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!
    जब भी हम वर्तमान स्थिति से ऊब जाते है या कोई समस्या से जूझने लगते हैं तो अनायास ही हमारा सुनहरा अतीत किसी चलचित्र की भांति आंखों के समक्ष उभर आता है जिसे याद कर हम फिर नई ऊर्जा को खुद में समेट वर्तमान को जीने के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं। तो चलिये ऐसे ही अपने सुनहरे अतीत के क्षणों को शब्दों में पिरो कर अपने आज को नई ऊर्जा से भर देते हैं। और सांझा करते है अपने प्यारे संस्मरण।
    हमारी आज की प्रतियोगिता का विषय है "अतीत के सुनहरे दिन"
    तो चलिये यादों की अंगुली थाम कर कुछ अतीत के सुनहरे दिन शब्दों में ढाल लाते हैं।

    दिनाँक - 20 जून से 30 जून 2021
    दिन - रविवार से अगले बुधवार
    विषय - "अतीत के सुनहरे दिन"
    विधा - संस्मरण

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-

    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।

    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।

    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।

    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।

    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
    सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....


    भूमिका संयोजन
    पूनम बागड़िया

    लेखआलेख

    बचपन की मधुर स्मृतियाँ

    • Edited 2 years ago
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    अतीत के सुनहरे दिन..
    : संस्मरण आयोजन 2021
    " बचपन की मधुर स्मृतियाँ "

    " अतीत के सुनहरे दिन '' के नाम मात्र से शायद हर किसी को अपना बचपन ही याद आता है.. क्योंकि बाद में तो बढ़ती ज़िम्मेदारियों के साथ.. अक्सर..
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    inbound4599179031977640532_1624962534.jpg
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    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 2 years ago

    बहुत बढ़िया संस्मरण दादा-दादी के ज़माने के,जो खुद दादा दादी बनने पर भी शायद इंसान नहीं भूल पाता है।

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अम्रता जी.. धन्यवाद..!

    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 2 years ago

    बहुत सुन्दर संस्मरण

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जी.. बहुत धन्यवाद 🙏

    लेखआलेख

    " बैलगाड़ी की यात्रा"

    • Edited 2 years ago
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    संसमरणात्मक कथा
    #शीर्षक
    "अद्भुत मीठी यात्रा "
    मित्रों जैसा कि आप सब जानते हैं " बैलगाड़ी" कतिपय संसार के सबसे पुरानी बैलों के द्वारा खींचे जाने वाली यात्रा के साधन के रूप में जानी जाती है।
    आज
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    FB_IMG_1624201260989_1624532867.jpg
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    Roohi Shrivastava

    Roohi Shrivastava 2 years ago

    Sunder sansmaran

    Shekhar Verma

    Shekhar Verma 2 years ago

    hahahaha

    Sumi Shweta

    Sumi Shweta 2 years ago

    Bahut khub

    Anjani Kumar

    Anjani Kumar 2 years ago

    सुंदर संस्मरण

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर रचना.. मैंने भी बचपन में पैत्रिक गांव में बैलगाड़ी यात्रायें बहुत की हैं..! बहुत पहले तो गांव की के विवाह में बारात भी अनेक बैलगाड़ियों में जाती थीं. "तीसरी कसम" का उदाहरण भी बहुत उपयुक्त है..!

    सीमा वर्मा2 years ago

    😊😊 जी सर सुंदर प्रतिक्रिया 🙏🏼🙏🏼

    कविताअतुकांत कविता

    दवा देनेवाले ने दर्द और बढ़ा दिया

    • Edited 2 years ago
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    दवा देनेवाले ने दर्द और बढ़ा दिया
    """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

    किसे क्या कहूँ
    यहाँ हर कोई बीमार है |
    उपचार की तलाश में
    खटखटाते रहते द्वार हैं |
    न जाने किस दर पर
    नब्ज देखनेवाला मिल जाए |
    इश्तहार देखकर
    जहाँ
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    कविताअन्य

    बचपन की डायरी

    • Edited 2 years ago
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    संस्मरण -



    बचपन की मासूम यादें भी उस उदास शाम की तरह होती है, जो सुकून भरे आलिंगन के साथ उदास कर जाती है....
    बचपन की वो अमिट यादें , जो फोल्डर वाली डायरी में पन्नों पर सिमटती जाती हैं....
    जो भविष्य में समय-
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    कविताअतुकांत कविता

    बीते लम्हें

    • Edited 2 years ago
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    बीते लम्हें

    बीते लम्हों में बचपन को
    जब भी याद करती हूँ
    अश्क आँखों से बहते हैं
    लबों पर मुस्कुराती हूँ

    हवाएं गुनगुनाती हैं
    और पत्ते सरसराते है
    मेरे माथे को छूता
    हाथ माँ का याद आता है

    पलों में रूठकर
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    कविताअतुकांत कविता

    न जाने कहाँ ले जाती ये नइया

    • Edited 2 years ago
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    न जाने कहाँ ले जाती ये नइया
    """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

    मुझे तुम्हारी तारीफ ही नहीं |
    तुम्हारा साथ भी चाहिए |
    जिन शब्दों की,जिन भावनाओं की
    तुमने तारीफ की,
    उसे जमीन पर उतारने के लिए |
    अभी जो शब्द बनकर सिमटा
    Read More

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    कविताअतुकांत कविता

    न जाने कहाँ ले जाती ये नइया

    • Edited 2 years ago
    Read Now

    न जाने कहाँ ले जाती ये नइया
    """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

    मुझे तुम्हारी तारीफ ही नहीं |
    तुम्हारा साथ भी चाहिए |
    जिन शब्दों की,जिन भावनाओं की
    तुमने तारीफ की,
    उसे जमीन पर उतारने के लिए |
    अभी जो शब्द बनकर सिमटा
    Read More

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