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Sahitya Arpan - Bindesh kumar Jha
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Bindesh kumar Jha

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  • कविताअन्य

    मैं ख़ुद डॉक्टर हूं" - यमुना

    • Added 3 months ago
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    • 163
    • 11 Mins Read

    मैं ख़ुद डॉक्टर हूं" - यमुना

    सदियों से यमुना और कारखानों के बीच के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। शायद वैश्वीकरण ने यमुना के उपकारों को भुला दिया है। यमुना को इस बात से अधिक हैरानी नहीं हो रही होगी जितनी
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    कविताअतुकांत कविता

    क्या तुम नहीं जानते

    • Added 3 months ago
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    • 86
    • 3 Mins Read

    क्या तुम नहीं जानते

    क्या तुम नहीं जानते
    पर्वतों के पीर को,
    व्याकुल संसार के
    संपन्न तस्वीर को।

    क्या तुम नहीं जानते
    जलती हवा के शरीर को ,
    जो दोड रहा है गाड़ियों के
    पीछे पाने अपने तकदीर को ।

    क्या
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    क्या तुम नहीं जानते,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    डाकिया से

    • Added 3 months ago
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    • 61
    • 3 Mins Read

    डाकिया से

    तुझसे बड़ा दगाबाज शायद कोई ना होगा
    जो दे तसल्ली झूठी बार-बार
    निगाहों में यूं ही लगातार अरमान जगाए
    बोले, होगी रूठी वह इस बार,
    डाकिया इतना ही बोलता है।


    आज कोई चिट्ठी नहीं आई है
    कल शायद
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    डाकिया से ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    भिखारी का आशीष

    • Added 3 months ago
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    • 38
    • 2 Mins Read

    भिखारी का आशीष



    कहां जा रहे हो, फटे हाल
    धूमिल तन और बिखरे बाल
    हाथ में एक कटोरा चमकीला
    ओढ़ के चिथरे और जेब ढिला
    जितनी लंबी दुख की लकीर
    उतनी लंबी मुस्कान फ़कीर
    हार नहीं मानता तिरस्कार से
    चाहे गुस्से
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    भिखारी का आशीष,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    दादाजी

    • Added 3 months ago
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    • 32
    • 3 Mins Read

    दादाजी

    चांदी से भी सफेद बाल
    असमतल मिट्टी से गाल
    मुस्कान बता रही है,
    थकी हुई गाथा सुन रही है
    फीके पड़े दुनिया भर के इत्र
    दादाजी जो हैं मेरे मित्र
    स्नातक पास होते है
    नर्सरी में मेरे साथ बैठा हे
    बातों
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    दादाजी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरी पहली होली

    • Added 3 months ago
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    • 38
    • 3 Mins Read

    मेरी पहली होली

    भेदभाव का काला रंग मिटेगा,
    विश्व शांति के गुलाबी गुलाल में सिमटेगा।
    आज कोई खूबसूरत चेहरा ना होगा,
    ना ही किसी के चेहरे पर बदसूरती का पहरा होगा।
    मिठास मिठाई तक सीमित न होकर,
    लोगों
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    मेरी पहली होली ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    विदेशी शहर

    • Added 4 months ago
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    • 105
    • 3 Mins Read

    विदेशी शहर

    इमरती ऊंची है,
    पर उतनी नहीं है,
    जितनी मेरी पतंग ने देखी है,
    गेंद जितनी ऊंची फेंकी है।

    रफ्तार तेज है गाड़ियों की,
    घंटे का सफर मिनट में,
    मैंने दिनों का सफर किया तय,
    अपनों के साथ वो गुजरता
    Read More

    विदेशी शहर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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