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London is the capital city of England.
कविताअतुकांत कविता
' अबोली आँखें '
सुनो बच्चे !
ये तुम्हारी आँखें ,
' अबोली आँखें ' ,
कुछ न कहकर भी ,
कहती हैं बहुत कुछ ..
ये कहती हैं
तुम्हारे मन की
कशमकश को ।
सवालों में उलझी ,
जिज्ञासा की
अनवरत बहती धार को ..
कि क्या निराशाओं
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बहुत ही सुंदर रचना बालपन की अंबोली आंखे। कितने अच्छे से प्रकट किया है बालपन के सवालो को
आभार ममता जी
बाल मन के भावों को दर्शाती हुई बेहद खूबसूरत रचना। सच मासूम और अब बोली आंखें ना बोलते हुए भी कितना कुछ बोल जाती हैं बस वह आंखें चाहिए जो उनके भाव को पढ़ सकें। तुम देखना सपने आसमां को छूने का कभी छोड़ना ना दामन उम्मीद का, बहुत ही प्रभावशाली पंक्तियां हार्दिक बधाइयां
सुषमा जी आभार स्वीकारें
बालक के मन की व्यथा का व बालक के मन मस्तिष्क में सकारत्मकता के संचार को रग-रग में उत्पन्न करने का एक अनुपम प्रयत्न किया गया है इस रचना में। निःसंदेह एक उत्कृष्ट काव्य सृजन।✍️??
संदीप जी आभार