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"बेहतर"
कविता
हैरत नहीं कि अब जान बेहतर है
सवालों के बेहतरीन जवाब
ख़ुद को मना लेना बेहतर है
कुछ तो बेहतर है
बीते हुए दिन बशर अब अक्सर बेहतर लगने लगते हैं
ख़ामोशी से बेहतर लफ़्ज अगर बशर हों तो बोलिए
*पवित्र पावन चरित्र*
तेरेसे भी बेहतर शख्सियत हैं
कानों को हो गई है आदत सुनने की आवाज़ उनकी
बेहतर ख़ामोशी तेरी आज
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
साथ तन्हाई का ही बेहतर है
साथ तन्हाई का ही बेहतर है
इंतज़ार तेरा
जुदाई से हरसूरत वस्ले-यार बेहतर है
बेहतर मुस्तक़बिल केलिए
अश्आर बनते रहें बेहतर से बेहतर
लेख
अभाव और मुश्किल ने सदैव बेहतर कल का निर्माण किया है
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