Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"चलते"
कविता
शरारत
" चलते चलते "
जहां तक उम्मीद है
#चित्र प्रतियोगिता
संवेदना
धागे पहले उलझते हैं
बदलते मौसम
मुंह जितनी बात
मेरे शहर की बस
जब मैं सोचू
*बाकी सफ़र*
*ये सिक्के इन बाजारों में नहीं चलते*
चलते बने लोग बशर खाक डाल कर कब्र पर
बैठे रह गए वो हाथ मलते रहे
हाथ कब तक मलते रहोगे
सोता ही नहीं है आदमी आठों पहर
रास्ते भी हैरान रह गए
माँ का आँचल
रहगुज़र ही में बशर गुज़र गया
हर हालात में चलते जाना
मै भी किसीको याद आना चाहता हूँ
किसीको याद आना चाहता हूँ
लेख
मनन
Edit Comment
×
Modal body..