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"किरदार"
कविता
किरदार
बदलता आपकी तरह रहा मेरा किरदार नहीं
किरदार
न्याय इतनी दूर क्यों ?
न्याय इतनी दूर क्यों ?
इमदाद ए किरदार लोगोंको याद जुबानी होगी
इमदाद ए किरदार लोगोंको याद जुबानी होगी
किरदार इन्सान का ज़ीस्त में असली सरमाया होता है
किरदार जिंदा रहता है
*लोग किरदार समझ लेते हैं*
"बशर" किरदार तेरा कितना महान है
चलो अदला-बदली करते हैं किरदारों की
किरदार
*किरदार*
बनाकर किरदारे-दास्ताँ छोड़ दिया
हैं औरभी मुख़्तलिफ जानवर-जात दुनिया के जंगल में हर किस्म के मग़र आदमजात के बदरंग किरदार का सूरत-ए-हाल ही और है
आदमजात के किरदार का सूरत-ए-हाल और है
कद काठी किरदार की बड़ी हो गई है
दिल में सच्चाई रख
होंठों पे तबस्सुम हो
सच से परेशानी है
खुद को न बेगैरत रखो
किरदार बड़ी चीज है
किरदार ऐसा हो कि याद रहे
किरदार की सच्चाई लिख
किरदार हमें हमारे कर्म से मिला है
जंग जीत सकते हो अपने किरदार से
हयात का आदमी अज़ीम किरदार होता है
मांझी अनाड़ी दूर किनारा
किरदार अमर कर जाते हैं
मुख़्तलिफ किरदार
किरदार अमर होगा गर नियत जिंदा रहेगी
धर्म जात और परिवार की परवाह है
कर्मों का असर किरदार पर दिखता है
भरोसा ही शिफ़ा है किरदार का
कमियाँ निकाल रहे हैं हमारे किरदार में
अक़्सर परेशान रहा करते हैं
कुछ वक़्त केवल अपने साथ बिताना चाहिऐ
अपनी हदमें इंसान मग़र अहद होना चाहिए
आईने के समने सबको खुदका दीदार होगा
विसाल-ए-हक़ीक़त से "बशर" फ़रेब से तुम हिज्र करो
किरदार रहे जिंदा बेशक मर जाएं हम
किरदार जिंदा रहता है
कहानी
डायरी में रखे मोरपंख
#"फर्ज"
कईएक पहलू जीवन के.....!!
स्टैटस- एक और लौकडाउन *
दोस्ती
अंतर्द्वंद
काकी
बूढ़ा आत्मसम्मान
लेख
किरदार जीना मुश्किल
भारत को ईश्वर नहीं ऐश्वर्य चाहिए
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