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"इंसान"
कविता
है खोफ मंजर फैला हुआ
गिरकर ही संभलता है इंसान
बिना स्वार्थ के सारथी बनो
इंसानियत की परिभाषा
ये कलयुग का इंसान है
एक नारी हूँ
ऊँचाई....
इंसान आज जमी पर आया है।
क्या लिखू क्या ना लिखू
हम भी कभी इंसान थे
"कोरोना का कहर"
भूख,लाचारी और खुदा
इंसानियत को सम्मान
इंसानियत के नायक
निःशब्द
जनप्रतिनिधि इंसान करो
तुमने मुझे
रूठी कलम
सबकुछ तो तय हैं ..
हैवान की हैवानियत
हैवान की हैवानियत
कुछ पल बैठिए उनके पास
अलविदा 2020
अधरों पर मुस्कान
राहत हो जाए
राहत हो जाए,
ढलती धूप
रूह आसमान में रहती है
आजकल पल पल रंग बदल रहे हैं लोग
हम भी कभी इंसान थे
भारत देश और इंसान
क्या धरती बस इंसान की है ?
✍️इंसान को भी जीना सिखा देता है।
✍️किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।
सच्चाई आज तो
जिंदगी का सबूत
ईश्वर की कृपा
धन्य होता हर व्यक्ति
उत्साह का नव प्रवाह
हर इंसान लगाता दांव
कर्मों के बल पर बदल गए
छटपटाता रहता है आम इंसान
सच समझने में चूका तंत्र सारा
इंसान
इंसान
अच्छा इंसान ऐसा हो
जिंदगी क्या चीज़ है मौत से इंसान डरता नहीं
हम इंसान भी न हुए वो खुदा हो गए
अपनी हदमें इंसान मग़र अहद होना चाहिए
एक निहायत अच्छा इंसान है
कहानी
इंसानियत का धर्म
दुआ
लेख
वैसा भय अब क्योें नहीं
इंसानियत
डर....
दुनिया का आखिरी इंसान
कभी भी अपने लक्षय को छोड़ना बिलकुल भी नहीं चाहिए
दिल का दर्द
अंतर्मन की व्यथा
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