Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
चैतन्य महाप्रभु और विष्णुप्रिया - Anujeet Iqbal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

चैतन्य महाप्रभु और विष्णुप्रिया

  • 699
  • 7 Min Read

चैतन्य महाप्रभु और विष्णुप्रिया

रात्रि रास की बेला में
स्वामी आ बैठे मेरे पास
और भगवान के विग्रह से उतरी तुलसीदल माल
दे दी मुझे उपहार
मैंने परिहास में कमल पुष्प से
उनकी पीठ पर ताड़न किया
“मछली की रसिक हूं निमाई,
मत लाया करो माखन मिश्री का प्रसाद”
आनंदातिरेक से दमक रहा था मेरा मुख
लेकिन उस रात
उनके नेत्र स्थिर थे कहीं दूरस्थ

उन दिनों
अनंग के पुष्प-बाणों की वृष्टि
हम दोनों पर होती
और मैं महाप्रभु के गौरवर्ण को
तृषित नेत्रों से हृदयस्थ करती
उनके जवांकुसुम तेल से महकते
बालों को काढ़ती रहती

"मेरे से अब पृथक रहना होगा विष्णुप्रिया,
के अब दंड, कमंडलु, मृदंग
झांझ और मंजीरे ही मेरे सहचर"
महाप्रभु के इस प्रचंड कथन ने
प्रेमबंधन पर कर दिया
तीक्ष्ण कुठाराघात
अपनी प्रतिष्ठा में वह कितने थे शांत

आम्र पर बैठे शुक और सरिकाएं
प्रेम छंद रटते रटते
अकस्मात मौन हो गए
और नवद्वीप में तिमिर का प्रसार
अन्ततः मुझे सदैव स्मृति में रखने का
वचन देकर
वो हो गए रात में अंतर्ध्यान
“हरिबोल हरिबोल” कहते हुए

मन में सदैव एक भ्रांति कि
अपने सुकुमार हाथों से वो
सदैव अनुष्ठान करेंगे प्रेम यज्ञ का
और जीवन के विलक्षण वर्णनों में
यह वृतांत प्रख्यात होगा
किंतु, उनका "चैतन्य" हो जाना
सब कुछ "शून्य" कर गया

आज मरघट में,
उनको दृष्टिभर देख लेने की अपूर्ण अभिलाषा
चटचट जल रही है कपाल के संग
जो भी है, सदियों की प्रतीक्षा है
भस्म होने में समय लगेगा

प्रेमी का ईश्वर हो जाना
स्त्री को उपेक्षित कर देता है


अनुजीत इकबाल

IMG_20200825_110600_1599853736.jpg
user-image
Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

चैतन्यपूर्ण

Anujeet Iqbal4 years ago

नमस्कारं आदरणीय, धन्यवाद???

Sarla Mehta

Sarla Mehta 4 years ago

उत्कृष्ट

Anujeet Iqbal4 years ago

धन्यवाद, आभार, शुभकामनाएं आंटी

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

चैतन्य महाप्रभु और विष्णुप्रिया के प्रेम को समर्पित रचना को स्थान देने के लिए साहित्य अर्पण को साधुवाद

Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 4 years ago

खूबसूरत सृजन.. बधाई.. बेहद भावपूर्ण

Anujeet Iqbal4 years ago

धन्यवाद गौतम जी

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

बहुत ही बंधी हुई कविता सुंदर

Anujeet Iqbal4 years ago

धन्यवाद

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना सच कहूं कई बार पढ़ी और जितनी बार पढ़ी मन जीत लिया रचना ने ❣️

Anujeet Iqbal4 years ago

अहोभाग्य। अब देखिए

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg