कवितालयबद्ध कविता
*सोशल मीडिया का बुखार है छाया*
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छुट्टियों का मौसम क्या आया ...
पोती पोतो से सारा घर भर गया ...
हर कोई अपने अपने मोबाईल में व्यस्त पाया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
पूछा जो दादी ने अपनी लाडली पोती से ...
दादी से बतियाने की नही फुर्सत ऐसा क्या मोबाइल में आया ...
पोती ने मुस्कुरा के कहा , दादी आप भी मोबाइल इस्तेमाल करो ...
आज कल तो हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
पोती ने दिया दादी को तोहफे में महँगा सा मोबाइल ...
पहले पहले तो मोबाइल से दादी के सर चकराया ...
पोती ने फेसबुक डाल के कहा , इसी का मौसम है आया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
हर्षोल्लास से गदगद हुई दादी ने कहा अब क्या करूँ ...
कहा जैसा तू करती है वैसा बना दे इसे देखु मैं भी ...
फट से नटखट सी पोती ने दादी का फेसबुक एकाउंट बनवाया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
एकाउंट बनते ही पोती ने करने को दादी से कहा ...
दादी अच्छी सी स्माइल दो आपका नाम और फ़ोटो लगाती हूँ ...
शरारती दादी ने अपने जगह किसी लड़की का फ़ोटो और एंजेल प्रिया नाम डलवाया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
देख के एंजेल प्रिया की सुंदर सी फ़ोटो मनचलों का दिल ललचाया ...
प्रोफाइल पिक्चर पे सारे शहर के लड़कों का तांता लग आया ...
देख के 1000 फ्रेंड रिक्वेस्ट दादी का दिमाग चकराया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
दादी के फोटो पे 300 लाइक्स और कमेंट का जाम सा लगने लगा ...
नाइस पिक , हॉट ऐसे कमेंट से कमेंट बॉक्स भर आया ...
जवाब क्या दु सबको, दादी के मन में ये बडा सा सवाल है आया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
अब दादी को भी फेसबुक का बुखार सा छाने लगा ...
पोता पोती से ज्यादा अब दादी को फेसबुक पे मजा आने लगा ...
दादी रोज नए नए फोटोज डाल के खूब मजा आया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
किसी दिन एक लड़के ने अजीब सा गौर फरमाया ...
हर पोस्ट को लाइक कमेंट कर के इनबॉक्स में मैसेज आया ...
कहा , आप बहोत खूबसूरत हो आपसे दोस्ती का मन है हुआ ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
दादी को लगा अब भी लड़के फिदा है मुझपे ...
दोस्ती के लिए हा कर के , दादी मन ही मन मुस्कुराने लगी ...
अब तो धीरे धीरे दादी का भी जी ललचाया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
धीरे धीरे आने लगे करीब दोनो ही करने लगे प्यार की बातें ...
दोनो के ही दिल में एक दूसरे से रूबरू मिलने का ख्याल आया ...
दादी कहती इससे पहले लड़के ने कहा , तुमसे मिलने को दिल से
बुलावा है आया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
दादी कुछ देर सोच के बोली , मैं पसन्द ना आई तो ...
लड़के ने कहा , तुमसे पहले ये ख्याल तो मेरे मन मे आया ...
दादी ने कहा , मिल के सोच लेंगे दोनो किसके दिल मे और क्या आया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
बना के प्लान किसी बगिया में मिलने का ...
दादी ने मंदिर जाने काबहाना बनाया ...
सोच के कही देर ना हो जाये , जल्दी जल्दी अपना रिक्शा चलवाया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
कैसा लड़का होगा वो , मुझे देख के क्या कहेगा ...
हजारों सवालो ने मानो दादी के दिमाग मे घर बनाया ...
सारे रास्ते बस यही ख्याल दादी के जेहन में आया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
दादी ने देखा , जहा मिलने की बात हुई वहा अब तक कोई नही आया ...
दादी ने देरी ना हुई सोच के चैन की सांस ली ...
सोच में पड़ी दादी की आंखे खोजने लगी क्या कोई कही से आया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
अचानक किसी ने एंजेल प्रिया कह नाम ले के पुकारा ...
चौक के देखा दादी ने , वहा एक हम उम्र सा बूढ़ा आया ...
दादी ने कहा आप कौन , आपको ये नाम किसने बताया ...
बूढ़ा बोला मैं जिससे मिलने आया उसी का नाम जोर से चिल्लाया ...
लगा कर माथे पे हाथ दादी मन ही मन मुस्कुराने लगी ...
बता के खुद की पहचान एंजेल प्रिया , उस बुजुर्ग को चिढ़ाने लगी ...
बुजुर्ग भी खिलखिला के हंसने लगा , वाह रे फेसबुक क्या कहा खूब मिलाया ...
हर किसी पे सोशल मीडिया का बुखार है छाया ...
ममता गुप्ता
राजगढ़ अलवर (राजस्थान)