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कवितालयबद्ध कविता
समय के चलते चक्कर को। मैं और तुम के अंतर को बोलो कब पहचानोगे बोलो कब तुम मानोगे बढ़ते पल पल दंगो को। राजनीति में नँगो को बोलो कब सम्भालोगे बोलो कब मैल निकालोगे घटी बढ़ती बात को बाहर होती औकात को बोलो कब तुम नापोगे ईश्वर को कब जपोगे - नेहा शर्मा
अति सुन्दर. अंतिम शब्द "जपोगे" की जगह "साधोगे" कैसा रहेगा"
लाजवाब जी
जी बहुत बहुत शुक्रिया
सुंदर है
shukriya