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"एक अधूरा सपना" (अंतिम-भाग) - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायक

"एक अधूरा सपना" (अंतिम-भाग)

  • 372
  • 20 Min Read

शीर्षक :"एक अधूरा सपना"

(अंतिम-भाग)

विनय ने पिताजी की इच्छा उनके सपनों को सम्मान तो दिया, मगर अंदर ही अंदर घुटता रहा!
अपने सपनों को पलकों पर लाया तो पर आँसुओ के साथ बहा कर पिताजी के सपने को अपनी आँखो में स्थान दे दिया !

अब वो डॉक्टर विनय था मगर उसका दिल अब भी यही चाहता था, कि कोई चमत्कार हो और उसे एयर फोर्स में जाने का मौका मिल जाये.!
मौका मिला भी पिताजी का तो सपना एक तरह से पूरा हो ही गया था, अब वो अपने लिए जीना चाहता था अपनी खुशी को अपने दिल और आँखों में महसूस करना चाहता था!
एक पल अपने लिये जीना चाहता था!
हॉस्पिटल में मरीज़ों के बीच उसे घुटन होने लगी थी बात बात पर चिढ़ जाता.. अब पिताजी का सपना विनय को बोझ लगने लगा!
अपने भविष्य और खुशी की इस कशमकश में एक दिन विनय ने एक निर्णय ले ही लिया, उस रोज़ पिताजी के समक्ष विनय किसी दोषी कि भाँति खड़ा था और पिताजी का गुस्सा सातवाँ आसमान छू रहा था!
"क्या कह रहा है तू जानता भी है"
"हाँ पापा जी मैने सोच लिया है.!!"
विनय ने धीरे से कहा
"तु हॉस्पिटल नही जायेगा डॉक्टर की जॉब छोड़ देगा ...…डॉक्टरी छोड़ कर उस एयर फोर्स में जायेगा..!!"
पिताजी गुस्से में एक ही सांस बोलते चले गए!

"जी पापा..!!"
विनय ने अपनी झिझक को हिम्मत देते हुए बोलना शुरू किया "पापा मैं आकाश में उड़ना चाहता हूँ.... एक बार अपने तरीके से अपनी ज़िंदगी जीना चाहता हुँ..!

पिताजी अब भी गुस्से से उसे देख रहे थे और विनय बस बोले जा रहा था!
"थक गया हूँ मैं आपके सपनों का भार अपने कंधों पर ढोते ढोते!" विनय ने एक सांस में अपने दिल का सारा ग़ुबार निकाल दिया.!
पर पिताजी को एक एक शब्द दिल में तीर की भांति वार करता प्रतीत हो रहा था!
घर में कुछ दिन कलह का वातावरण बना रहा...!!

आज वो एयर फोर्स दाखिले के लिये तैयारी कर रहा था!
कल उसे जाना था परन्तु घर में तनाव की सीमा कम न हुई! दूसरे दिन उत्साहित मन से विनय तैयार हुआ और माँ का के पैर छूते हुए माँ का आशीर्वाद मांगा.!
"मेरा आशीर्वाद तेरे साथ हमेशा है, मेरे बच्चे... जा पापा के पैर छु कर उनसे आशीर्वाद ले..!
माँ ने दही शक्कर खिलाते हुये विनय से कहा! विनय मुस्कुराते हुये उत्साह के साथ पिताजी की ओर मुड़ा जो पास ही आराम कुर्सी पर बैठें अखबार पढ़ते हुये चाय पी रहे थे "पापा.... विनय पिता के चरण स्पर्श करने के लिए झुका! पिताजी ने अपने पैर पीछे खिंचते हुऐ कहा ! "तुझे जो करना है कर मगर मुझ से किसी चीज की आशा मत कर..!"
"पर मैं तो आप का आशीर्वाद मांग रहा हूँ... पापा.!"
विनय बोला
"अब तुझे मैं अर्शीवाद भी नही दे सकता" कह कर पिताजी अपने कमरे में चले गए ! विनय दुःखी मन से चला तो गया परन्तु दो दिन बाद ही वापस घर लौट आया.! दरवाजा माँ ने खोला!
"अरे तु.... क्या हुआ, तु इतनी जल्दी लौट क्यों आया ..?? माँ ने एक साथ प्रश्नों की झड़ी लगा दी... परन्तु बुझे मन से विनय चुपचाप अपने कमरे में चला गया.... माँ तुरंत उसके कमरे मे पहुँची तो देख कर दंग रह गई विनय फुट फुट कर रो रहा था
माँ ने पलंग पर बैठते हुए विनय के सर पर प्यार से हाथ रखा माँ को पास देख विनय ने माँ की गोद मे अपना चेहरा छिपा लिया माँ ने सर पर हाथ रख कर चिंता भरे भाव से पूछा!
"क्या हुआ तू ऐसे रो क्यों रहा है?"
"मम्मी.... पापा का सपना मेरे सपने पर भारी पड़ गया"
"पर बात क्या है" माँ ने पूछा
"पापा के सपने को साकार करने की कोशिश में..… मैं ...ये भूल गया था कि मेरे सपनों की कुछ सीमायें है.... और वो सीमाये खत्म हो गई..!!
विनय की आंखों में आँसू और अपने टूटे सपने को यूँ छल छल बहता देख माँ सहम सी गई विनय एक पल रुक कर फिर बोला "अब कभी अपना सपना पूरा नही कर पाऊंगा!"

"ये क्या कह रहा है तू ... माँ विस्मय सी उसे ताक रही थी
"मम्मी मैं भूल गया था एयर फोर्स के लिये ऐज लिमिट होती हैं और उस लिमिट को मैं क्रॉस कर चुका हूँ..! विनय के शब्दों में कुछ न कर पाने का दर्द साफ दिखाई दे रहा था उसने खुद को संभालते हुए कहा "अगर पापा मेरा एडमिशन बिना पूछे न करते तो मैं शायद उनको मना लेता ...और उसी वक्त मेरा सेलेक्शन हो जाता.... पापा के सपने के कारण मेरा सपना मिट्टी में मिल गया..!!

तभी उसके चेहरे पर पानी की बूंदें गिरी.… विनय ने अपनी आँखे खोल कर देखा तो आसमान पर बदल छाये थे और यदा कदा बारिश की नन्ही बूंदे उस पर पड़ रही थी ... विनय अब भी अपने विचारों में डूबा था वो सोच रहा था पापा के सपने ने मेरा सपना तोड़ा पर.... अब मैं पापा का सपना क्यों तोड़ रहा हूँ..?
"क्या मैं फिर से डॉक्टर विनय नही बन सकता..? और कुछ निर्णय ले कर वो बेंच से खड़ा हुआ और ... अपने कटे पंख समेट कर, घर की राह चल दिया अपने पिता के सपने की ओर...

©️ पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित व मौलिक रचना

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत ही भावुक कर देने वाली कहानी

Poonam Bagadia3 years ago

शुक्रिया मैम

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

मार्मिक

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

खूब

Poonam Bagadia3 years ago

हार्दिक धन्यवाद आँटी जी...!

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Poonam Bagadia3 years ago

शुक्रिया सर...!

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

bahut khub

Poonam Bagadia4 years ago

शुक्रिया..

दादी की परी
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