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अक्सर भूल जाते है लोग - Anil Dhawan Sirsa (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अक्सर भूल जाते है लोग

  • 198
  • 4 Min Read

#27अगस्त 2020
विषयः चित्र लेखन
शीर्षकः अक्सर भूल जाते है लोग।।

एक दूसरे को नीचा गिराने के चक्कर मे,
अपने फर्ज, अपने कर्म अपनी इंसानियत तक को,,
अक्सर भूल जाते है लोग,,
खुद ही सबसे ऊँचा दिखना चाहते है लोग,,
भूल जाते है जिन्दगी जीना आनी चाहिए,,
सबका सामान करना आना चाहिए,,
कुछ भी नही साथ है जाना, सब यही रह जाना,
जो भी आज तू बना रहा है, और अपने नाम करने के
चक्कर मे, सब रिश्ते भुलते जा रहे है लोग,,
सच को छिपा अपने, सब झूठ दिखा रहे है,
अब पैर ना चादर देख पसारे जा रहे है,,
अब चडा़ कर सीढ़ियो से ऊपर,
नीचे से सीढ़ियाँ खीचँ लेते है लोग,
मैं मैं मे अब लगे है लोग,
ना जाने कब जगे ये लोग।।।

अनिल धवन सिरसा
स्वरचित एवं मौलिक

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Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

यथार्थ सृजन

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

कुछ लोग ऐसे हैं , सभी नहीं।

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

रिश्तों के सौदे

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर सत्य को उजागर करती रचना

Anil Dhawan Sirsa4 years ago

Shukriya ji

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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