कविताअतुकांत कविता
#27अगस्त 2020
विषयः चित्र लेखन
शीर्षकः अक्सर भूल जाते है लोग।।
एक दूसरे को नीचा गिराने के चक्कर मे,
अपने फर्ज, अपने कर्म अपनी इंसानियत तक को,,
अक्सर भूल जाते है लोग,,
खुद ही सबसे ऊँचा दिखना चाहते है लोग,,
भूल जाते है जिन्दगी जीना आनी चाहिए,,
सबका सामान करना आना चाहिए,,
कुछ भी नही साथ है जाना, सब यही रह जाना,
जो भी आज तू बना रहा है, और अपने नाम करने के
चक्कर मे, सब रिश्ते भुलते जा रहे है लोग,,
सच को छिपा अपने, सब झूठ दिखा रहे है,
अब पैर ना चादर देख पसारे जा रहे है,,
अब चडा़ कर सीढ़ियो से ऊपर,
नीचे से सीढ़ियाँ खीचँ लेते है लोग,
मैं मैं मे अब लगे है लोग,
ना जाने कब जगे ये लोग।।।
अनिल धवन सिरसा
स्वरचित एवं मौलिक