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संभल ए मानव ! - Amrita Pandey (Sahitya Arpan)

लेखनिबन्ध

संभल ए मानव !

  • 228
  • 4 Min Read

शीर्ष स्थान पर मस्तिष्क को धारण करने वाला एकमात्र प्राणी मानव ही तो है पर यह इतना स्वार्थी, लालची और संकुचित मानसिकता वाला क्यों हो चला है...? अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए कुछ भी कर बैठने से परहेज़ ही नहीं। दो भाई हों या दो पड़ोसी... दो धर्म हों या दो मुल्क़...। कोई भी यह बात समझने को तैयार ही नहीं कि हम सबका एक ही मंतव्य है, एक सी आवश्यकता है। एक ढांचा, एक सा खून है। अपने अपने प्रारब्ध की पूर्ति के लिए हम सब इस दुनिया में आए हैं। हमेशा एक दूसरे की टांग खींचने या उसे धकेलने का प्रयास उचित नहीं है। कहीं दूसरे को गिराने के प्रयास में खुद ही ना डगमगा जाएं। हमें यह समझना होगा कि हम सब की एक ही स्थिति है, ज़रा सा पैर फिसला नहीं कि धड़ाम....। बारूद के ढेर पर खड़ी इस दुनिया में एक दूसरे को धकेलने के बजाय गिरते को संभालना ज्यादा ज़रूरी है। तभी अस्तित्व की कल्पना सार्थक होगी।

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

समझेगा कौन हर बार प्रश्न यही आ जाता है।

Amrita Pandey4 years ago

जी, आप जैसे चंद लोगों को देखकर कभी-कभी आशा भी जगती है

Anil Dhawan Sirsa

Anil Dhawan Sirsa 4 years ago

सुन्दर

Amrita Pandey4 years ago

आभार आपका

Amrita Pandey4 years ago

आभार आपका

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

सुन्दर..!

Amrita Pandey4 years ago

जी धन्यवाद

समीक्षा
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