कविताअतुकांत कवितागीत
माँ भारती के गहनें
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क्यों ऐसे लड़ते हो यार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
हर दिन होती गोली-बारी
करे सुन्न ममता की क्यारी।
सीने पर गोली का वार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
तेरा भी कोई अपना होगा,
तेरा भी कोई सपना होगा।
तुम भी तो किसी के सुकुमार,
तुम्हे नहीं जीवन से प्यार?
तुमको दुनिया वीर है कहती,
तेरे भरोसे सुख से रहती।
तू सहता दुश्मन का वार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
तेरी भी कोई दिवानी होगी,
उरतल की पटरानी होगी।
वह करती होगी शृंगार,
तुम्हे नहीं जीवन से प्यार?
तुम हो भारत माँ के गहने,
वीर सपूत तेरे क्या कहने।
राष्ट्र तुम्हारा है परिवार,
तुम्हे नहीं जीवन से प्यार?
सीमा पर तुम रोज ही लड़ते,
गोली खा सीना पर मरते।
तुम्हीं से राष्ट्र सलामत यार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
तेरे लिए नहीं होली-दीवाली,
त्योहारों की रात भी काली।
युद्ध ही तेरा है त्यौहार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
जिस माँ ने तुझे जन्म दिया है,
पोस पाल कर बड़ा किया है।
उस जननी का वंदनवार,
तुम्हे नहीं जीवन से प्यार?
अहसानमंद यह राष्ट्र तुम्हारा,
सबको तू प्राणों से प्यारा।
तुम पर राष्ट्र का रक्षा भार
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
“सचिन”की आँँखें लरज रही हैं,
अश्रुधारा बरस रही है।
नमन करो मेरा स्वीकार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
……
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
राष्ट्र के तमाम वीर सैनिकों को एवं शहादत प्राप्त महान आत्माओं को समर्पित।
बेहतरीन भावों की उम्दा अभिव्यक्ति की है आपने !
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
बहुत खूब 👌🏻
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया