कवितालयबद्ध कविता
खड़े हैं सीमा पर सीना ताने डट कर रोज प्रहरी
दुश्मनों के इरादो को करते रोज खाक हर प्रहरी
बड़े ही संयम से संभालते हैं अपने देश की सीमा
न करते जीवन को रूसवा जमाने में देखो प्रहरी।
हर एक शख्स टिकाए निगाहें देखो अपनी बैठा है
कहीं विचलित ना हो जाए कर्तव्यपथ पर ये प्रहरी
सभी चाहते हैं की देश में सदा खुशहाली ही बरसे
लड़ जाते झंझावातो से हरदम बेखौफ़ देखो प्रहरी।
मगर करें क्या कुछ लोग तमाशा हैं, बैठ कर देखते
चाहे सीमा पर न्योछावर जान कर जाएं देखो प्रहरी
कहीं राजनिति का शोर कहीं आवाम का जोर होता
मगर टस से महक ना होते बलिदान हो जाते प्रहरी।
सैनिक जीवन के दुर्गम संघर्ष और राजनेताओं की उपेक्षा को बखूबी बयां करती रचना।
बहुत खूब 👌🏻
बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए