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"प्रहरी" - Bandana Singh (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

"प्रहरी"

  • 200
  • 3 Min Read

खड़े हैं सीमा पर सीना ताने डट कर रोज प्रहरी
दुश्मनों के इरादो को करते रोज खाक हर प्रहरी
बड़े ही संयम से संभालते हैं अपने देश की सीमा
न करते जीवन को रूसवा जमाने में देखो प्रहरी।

हर एक शख्स टिकाए निगाहें देखो अपनी बैठा है
कहीं विचलित ना हो जाए कर्तव्यपथ पर ये प्रहरी
सभी चाहते हैं की देश में सदा खुशहाली ही बरसे
लड़ जाते झंझावातो से हरदम बेखौफ़ देखो प्रहरी।

मगर करें क्या कुछ लोग तमाशा हैं, बैठ कर देखते
चाहे सीमा पर न्योछावर जान कर जाएं देखो प्रहरी
कहीं राजनिति का शोर कहीं आवाम का जोर होता
मगर टस से महक ना होते बलिदान हो जाते प्रहरी।

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Gita Parihar

Gita Parihar 4 years ago

सैनिक जीवन के दुर्गम संघर्ष और राजनेताओं की उपेक्षा को बखूबी बयां करती रचना।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Bandana Singh4 years ago

बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए

प्रपोजल
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