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किरकिरा हुआ काजल - Sarita Singh Singh (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

किरकिरा हुआ काजल

  • 255
  • 4 Min Read

कविता :
शीर्षक:किरकिरा हुआ काजल

किरकिरा हुआ काजल साथ छूटा तब ।
हमें भी एहसास हुआ दिल टूटा जब।।

उनका दर्द आंखों से ज़रा निकला जो।
मेरा भी दिल हाथों से जरा फिसला तो।।

आंखों के कोरे से बही जो नयन सरिता
उन आंखों पर तब यह मन मेरा रीता ।।

काजल की धार धुल रही थी धीरे धीरे ।
मौन थी चुप खड़ी आंखें कह रही थी पीरे।।

जाने किसके नाम की मेहंदी हाथों में थी सजाए
इतने दर्द आंखों में काजल संग थी छुपाए।।

सोचा इन आंखों में नई एक तस्वीर बसी फिर
पर काजल की धार आंखों से बहकर गिरी फिर।

दिल का गुबार वो आंखों से निकाल रही थी।
मेरी आंखें चुप उसे देख निहार रही थी।।

क्या गुजरी थी उसके दिल पर जान गए थे।
मोहब्बत का क्या होता है हाल मान गए थे।

किरकिरा हुए काजल साथ छूटा तब।।
हमें भी एहसास हुआ दिल टूटा जब।


सरिता सिंह गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सुंदर

Sarita Singh Singh3 years ago

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सरिता जी कविता के साथ रचना से जुड़ी तस्वीर लगाएं अपनी नहीं

Sarita Singh Singh3 years ago

की सूचना के लिए धन्यवाद चित्र बदल दिया है

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Sarita Singh Singh3 years ago

आपका बहुत शुक्रिया आदरणीय

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