Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मन के आईने में - Krishna Tawakya Singh (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मन के आईने में

  • 176
  • 4 Min Read

मन के आईने में
;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

क्यों किसी के पैरों के आहट से ही
दिल धड़क जाता है |
रगों में लहु तेज दौड़ जाता है |
अजीब सी झनझनाहट होती है
जैसे लगता है कोई बिजली सी
कौंध गयी सारे जहन में |
कुछ अनकहे से अल्फाज
निकल आते हैं होठों पर
जो कभी सोचा न था |
फिर लगता है क्या कह गए
बुद्धि अवरोध खड़े करती है
पर जागती है देर से
तबतक तो तीर चल चुके होते हैं
यह ख्याल में लाता है
परिणामों को
रिश्ते के आईने में ढ़ूँढ़ता है
उन नामों को |
पर कहीं नहीं मिलते उनके नाम
चेहरा तो ये भी भूल जाता है
मन के इस सागर में
स्वयं भी घुल जाता है |
जो सामने कभी नहीं आते
न जाने उन्हें क्यों नहीं भूल पाता है |

कृष्ण तवक्या सिंह
18.02.2021

logo.jpeg
user-image
Ritu Garg

Ritu Garg 3 years ago

बहुत सुंदर

Krishna Tawakya Singh3 years ago

धन्यवाद !

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg