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मधुर मिलन - Amrita Pandey (Sahitya Arpan)

कवितागीत

मधुर मिलन

  • 235
  • 6 Min Read

ना जाने किसकी तलाश थी
किससे बातें करता था तनहाई में
दफ्न हो गयीं थीं खुशियां सारी
  मानो सागर की गहराई में,
ना दिन को सुकून था, ना रात में चैन
उदास- उदास  से दिन थे,
तन्हा तन्हा रातें,
अपने ही खयालों में
करता रहता था मैं बातें,
देख युगल जोड़ों को
दिल कहता था मेरा
कोई तो ऐसा होता
जो बस होता तेरा,
सिंदूरी सांझ ढले  जब
पंछी उड़ते आकाश में
चहक चहक जाने को
आतुर अपने आशियाने
तन्हा था, अकेला था,
आंसुओं का रेला था‌।
शून्य में ताकता रहता,
खामोशी छा जाती
नीरवता ही दिखती थी बस
इस सारे जहान में...

पाया जो तुमको एक दिन
प्रेम तरंगे हिलोरे लेने लगी मन में
मिलन हुआ  जब तुमसे
मन का पंछी भी डोला
मिल गया सहारा जीने का
मंद मंद मुस्काकर बोला,
कानों में मिश्री  सी घोल दी
दिल की बन्द कली खोल दी,
मधुर स्वर जब तुमने बोला
जीवन में अकेले कुछ भी नहीं
यह राज तुम्हीं ने खोला,
मेरी अधूरी कहानी को
पूरा करने वाली तुम
मेरे अकेलेपन को
खुशियों से  भरने वाली तुम,
संयोग बना यह कैसा
ईश्वर ने कैसा खेल रचा,
अब हो चला है यकीन मुझे
जोड़े बनते आसमान से
अब की बार मिले हैं जो
जुदा कभी ना होंगे,
खुशियां मिलें या गम
हम साथ-साथ सहेंगे।
मेरी वर्षों की तलाश हो तुम
यूं ही साथ रहना सदा
मेरी हमसफ़र बन कर
मेरी हमजुंबा बन कर।

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Ritu Garg

Ritu Garg 4 years ago

बहुत बढ़िया

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 4 years ago

बहुत ही खूबसूरत मेम..!👌👌

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर रचना आदरणीया

प्रपोजल
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