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किलकारी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

किलकारी

  • 401
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#चित्राक्षरी प्रतियोगिता फरवरी 2021
*किलकारियां*

झुग्गी झोपड़ी जिनका आशियाना है, उनका भी मन हुलसता है खेलने कूदने के लिए। बालमन नई नई तिकड़मों का जुगाड़ करने में सबसे आगे रहता है। चम्पू, गुड्डू, झुमकी व सयानी की टोली ने माओं द्वारा लाए अटाले से कुछ नया बनाने की सोची। स्कूटर के पुराने टायर से खींचने वाली गाड़ी, प्लाय आदि के गत्तों से एक घर व मंदिर वगैरह बना लिए। बचे ट्रक का टायर व पुरानी नायलॉन की साड़ियाँ।
सयानी ने दिमाग लगाया कि क्यूँ न किसी मज़बूत पेड़ पर टायर का झूला बनाएँ। यूँ तो इन बच्चों को बड़े लोगों के खेतों व बागों से आम अमरूद इमली बेर चुरा कर खाने में बड़ा ही मज़ा आता है। लेकिन झूला डालने के लिए तो मालिक की इजाज़त लेनी होगी।
यहाँ वहाँ भटकते बच्चे कोई बड़ा पेड़ सुनसान जगह पर ढूंडने निकल पड़ते हैं। नगर सेठ शहर में रहते हैं। उनके खेत पर एक अच्छा खासा फैला हुआ किसी अनजान फ़ल का पेड़ दिखता है।
बच्चे खुश हो कच्चे पक्के फल तोड़ खाने लगते हैं, झमकाती झुमकी चिल्ला पड़ती है, "ए गधों, खा मत लेना। घर पर पूछ कर खाएँगे।"
छोटे छोटे फल देख माएँ डाँटती हैं, अरे भुखमरों, कहीं ज़हरीले ना हो।"
एक बुज़ुर्ग बोल पड़ता है, अरे ! ये तो काजू है।" सब अचंभित कि काजू क्या बला है। बाबा बताते हैं, यह मुमफली दाने से थोड़ा लंबा व धनुष जैसा बहुत मंहगा मेवा है।
सारे बच्चे झूले का सामान ले हंसते गाते चल पड़ते हैं,,,सुहाना सफ़र और ये,,,। ,वहाँ पहुँच सबसे पहले काजू मेवा चतकारने की दोनों लड़के पेड़ पर चढ़ काजू के फल नीचे गिराते हैं। तभी वहाँ का चौकीदार डंडा लेकर चिल्लाता हुआ आ जाता है, " मार मार के कचूमर बना दूँगा, भागो यहाँ से।"
बच्चे हाथ जोड़ते हैं, "दादा हमें माफ़ करदो, हमने काजू कभी नहीं खाए।" चौकीदार को बच्चों पर तरस आता है, " ठीक है बच्चों, पर अभी ये पूरे पके नहीं हैं। जब खाने लायक होंगे, मैं तुम्हें ज़रूर चखाउंगा।"
बच्चे ख़ुशी जताते हैं , "ठीक है दादा, क्या हम काजू पर झूला बाँध सकते हैं।और हम यहाँ निगरानी भी कर लेंगे।"
चौकीदार भी खुश, " उसे बच्चों की किलकारियां तो सुनने को मिलेगी। ख़ुद के परिवार को दूर गाँव में छोड़ रखा है।"
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत अच्छी रचना

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत अच्छी रचना

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बढ़िया

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

अच्छी लघुकथा

दादी की परी
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