कविताअतुकांत कविता
"करवाचौथ पर पति की व्यथा"
सुबह-सुबह जब आंख खुली।
मैंने पत्नी को पैर दबाते पाया।।
मैंने पूछा डीयर आज ऐसा क्या है ?
जो तुमने इतना प्यार दिखाया।।
थोड़ी मुस्कुराई थोड़ी शरमाई।
बोली प्रिय करवा चौथ है आया।।
कर रही थी मिश्री सी मीठी बातें।
मैं समझ गया उसकी सब बातें।।
दाल में कुछ काला है या दाल ही है काली।
उसको दिख नहीं रही है घर की हालत माली।।
करने लगी मनुहार वह पार्लर है जाना।
थोड़ा मैकअप करके तुम्हारे लिए है संवरना।।
आखिरकार करवा चौथ का दिन था आया।
मेरी बिना मर्जी के उसने iphone मंगवाया।।
मैंने पूछा यह सब क्या ड्रामा है प्रिय ?
बोली तुम्हारी ओर से उपहार प्यारा सा है प्रिय।।
मेरे तो उड़ गए थे उस वक्त बिल्कुल होश ।
जब कार्ड से कट गए थे 50,000 कैश।।
देर रात तक चांद ना निकला
ये चांद चांद चिलाए।
कभी मुझे ये छत पर भेजे, कभी गली गली दौड़ाए।।
हाथ जोड़कर कहूं चांद से जल्दी आजा भाई।
जो iphone है आया करनी है उसकी भरपाई।।
तुम जल्दी आओगे तो मैं जल्दी सो पाऊंगा।
जल्दी उठूंगा तो ही ओवरटाइम कर पाऊंगा।।
ओवरटाइम करके ही कुछ पैसे और कमाऊंगा।
तभी तो iphone का तो रिचार्ज करवा पाऊंगा।।
एम के कागदाना