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तन्हाई - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

तन्हाई

  • 381
  • 3 Min Read

किसी दिन
तन्हाई में
बैठ कर
तू भी सोचोगे........

कि वो एक ही था
जो मेरी हर एक
बात मानता था..........!!

आज तुम्हारे पास
वक़्त नहीं है न
हमसे बात करने का
किसी दिन
तुम तरस जाओगे
हमसे दो बात करने को.......!

तुम्हें हक है मुझसे
नाराज़ होने का
लेकिन हमसे नाराजगी
की वजह तो
बताते जाओ.........!

मुझे इतना भी
मजबूर मत करो कि
मैं तुझसे नफ़रत
करने लगूँ और
मनाने के लिए
तुझे हाथ फैलाने पड़े..........!

संदीप चौबारा
फतेहाबाद
मौलिक एवं अप्रकाशित
11/08/2020

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

समय समय की बात है,आज उनके पास नहीं है,कल आप न दे पाएंगे।

Champa Yadav

Champa Yadav 4 years ago

बहुत... खूब...

Sandeep Chobara4 years ago

हार्दिक आभार

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

अच्छा लिखा

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

वाह

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

वाह क्या बात है

प्रपोजल
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