कविताअतुकांत कविता
किसी दिन
तन्हाई में
बैठ कर
तू भी सोचोगे........
कि वो एक ही था
जो मेरी हर एक
बात मानता था..........!!
आज तुम्हारे पास
वक़्त नहीं है न
हमसे बात करने का
किसी दिन
तुम तरस जाओगे
हमसे दो बात करने को.......!
तुम्हें हक है मुझसे
नाराज़ होने का
लेकिन हमसे नाराजगी
की वजह तो
बताते जाओ.........!
मुझे इतना भी
मजबूर मत करो कि
मैं तुझसे नफ़रत
करने लगूँ और
मनाने के लिए
तुझे हाथ फैलाने पड़े..........!
संदीप चौबारा
फतेहाबाद
मौलिक एवं अप्रकाशित
11/08/2020