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अलविदा 2020 - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

अलविदा 2020

  • 271
  • 7 Min Read

अलविदा 2020--
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चलो अब तुम्हारी विदाई का समय नजदीक आ रहा है। खुशी हो रही है,कि तुम यहां से जाकर अपने घर आराम से रहो । ना तुम हमें याद करना ना हमें याद आना । जब तुम्हारा आगमन हुआ बहुत खुश थे हम सब । बहुत सपने संजोये तुम्हारे संग समय काटने के लिये पर जैसे जैसे तुम बढ़े हुये तुम्हारी हरकतों से पूरा विश्व संकट में आगया । बहुत से ज्योतिषियों को तुम्हारा जन्म लगन दिखाया केवल दिलासा ही मिलती रही । ढोल, मंजीरे , बाती सबसे तुमको मनाने की कोशिश की कि शायद तुम सुधर जाओ पर इतने हटी प्रवृति के थे कि तुम नहीं
सुधरे ।
कितने अपनों की बलि भी देनी पड़ी पर तुम तो सुरसा
की तरह मुंह फैलाते गये । डर लगने लगा कि कब तुम्हारा पंजा हमें गिरफ्त में ले ले । बहुत अवसाद में आगयी । जैसे जैसे समय बीत रहा था केवल दूरभाष के माध्यम से एक दूसरे को समझा रहे थे ।
इतना कुछ होने के बाद भी हमको बहुत शिक्षा भी देकर जा रहे हो । संयुक्त परिवार का महत्व ,स्वच्छता का पाठ छोटे छोटे बच्चों को सिखा दिया। फिजूल खर्ची पर रोक । सबसे अधिक सिखाया शारीरिक मजबूती के साथ मानसिक मजबूत होना और सिखाया पुरानी संस्कृति को संजो कर रखना जैसे योगा करना , देशी नुख्से आदि । कुछ कार्य जो हमारी बुजुर्ग महिलाएं हमेशा हमको टोकती थी जैसे बाहर से आकर चप्पल बाहर रखो , मुंह हाथ पैर धोलो, बाहर के कपड़े उतार कर अलग टांग दो ,सब्जी आदि सामान सब धोकर टोकरी में रखो ।
चलो अब तुम विदा हो जाओ और हम लगते 2021 के स्वागत में ।
स्व रचित
डा.मधु आंधीवाल

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

??

Madhu Andhiwal3 years ago

Thanks

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जाते हुए वर्ष 2020 के विषय. में उचित ही लिखा है.. आपने. बहुत से प्राणियों को अपनी जान से हाथ धोया. लोगों के रोजगार चले गए. 24 घंटे चलने वाली ट्रेनें बन्द हो गयीं.हां एक बात हुई..! प्रक्रति को पास से देखने का अवसर मिला. पर्यावरण कुछ शुद्ध हो गया. ऐसे द्श्य देखने को मिले, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.

Madhu Andhiwal3 years ago

Thanks

दादी की परी
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