कहानीलघुकथा
शनिवार
बिषय "एक ठंडी रात "
असीमित खरोंचे
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पूस की रातें बहुत ठंडी होती है। यह पुरानी कहावत है।
ऐसी ही एक ठंडी रात थी । मानसी बैचेनी से ठहल रही थी । घर के सब सदस्य सो चुके थे । अभी अभी ब्रेकिंग न्यूज में सुन रही थी कि कल फुटपाथ पर सोने वाली एक मानसिक रुप से कमजोर लड़की को कुछ लोग उठा कर ले गये और उसके साथ बलात्कार करके छोड़ गये नग्नवस्था में ठिठुर कर उसकी लाश को पुलिस ने बरामद किया ।
ये खबर उसके जेहन में हल चल मचा रही थी । शादी से पहले उसके घर के सामने एक प्रेस वाला मोहन सारी कालोनी के कपड़े प्रेस करता था । वहीं उसने अपनी छोटी सी झोपड़ी बना रखी थी । उसकी दो बच्चियां थी । एक बच्ची मानसिक रुप से कमजोर थी । दोनों बच्चियां मानसी के पास आजाती थी । मानसी एक स्कूल में अध्यापिका थी । वह उनको पढ़ाती रहती थी । एक रात शायद सबसे ठंडी रात थी । तेज हवा बारिश एक तूफान सा आया हुआ था । इस तूफानी रात में तीन नर पिशाच भी नशे में धुत उस झोपड़ी के आगे रुके । झोपड़ी का दरवाजा कमजोर था । एक लात के प्रहार से वह खुल गया । तीनों ने उस मासूम बच्ची को उठाया और ले जाने लगे । बड़ी बहन ,मां और बाप शोर मचाते रहे पर तूफानी रात के शोर में किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी या कहिये कोठीवाले उन गरीबी आबाजों को अनसुना कर गये । मानसी जाग कर जब तक वहाँ पहुँची वह कुछ समझ पाती देर हो चुकी थी । मानसी ने मोहन के साथ मिल कर अधेंरे में खोजा पर कुछ नहीं पता चला । मानसी पूरी रात झोपड़ी में उन लोगो के साथ बैठी रही । सुबह रात का तूफान थोड़ा थमा । बाहर दूर तक निकल कर ढूंढा एक गड्ढे में उस मासूम बच्ची की लाश असीमित खरोचों के साथ खून से लथपथ ठंड में ठिठुरी हुई मिली । कितना मुश्किल होता मां बाप को दिलासा देना ।
आज समाचार ने उसके दिल विचलित कर दिया । शायद ये घटना कभी कम ना होगी ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल