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एक जमाना बीत गया - Anjani Tripathi (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

एक जमाना बीत गया

  • 369
  • 3 Min Read

मुझको खुद से नजर मिलाएं
एक जमाना बीत गया
खोई रही दुनियां की भीड़ में
खुद की सुध को भुला बैठी
मुझको अपने गले लगाएं
एक जमाना बीत गया
हंसना रोना संग संग दोनों
जाने कैसे करती हूं
होठों पर मुस्कान सजाएं
एक जमाना बीत गया
इसका, उसका जाने किसका
सबकी बातें सुनती हूं
मुझको खुद से खुद बतियाये
एक जमाना बीत गया
प्रेम बांटते रहना सब में
दिल ना दुखे मेरे कारन
खुद से खुद को प्यार निभाये
एक जमाना बीत गया
अंजनी त्रिपाठी
हरिद्वार उत्तराखंड

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

आह, नारी की व्यथा !दिल रोता हो, होंठों पर मुस्कान रहनी चाहिए ! विडम्बना!

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

सुन्दर सृजन

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

खुद का खुद से मिलन बेहद खूब बहुत सुंदर सृजन

Anjani Tripathi3 years ago

धन्यवाद मैम

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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