Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मुमकिन हो सफर हो आसां - Priyanka Tripathi (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मुमकिन हो सफर हो आसां

  • 265
  • 3 Min Read

स्वरचित मौलिक:: मुमकिन हो सफर हो आसां

मुमकिन हो सफर हो आसां,
अब साथ भी चल कर देखे।
कुछ तुम भी बदल कर देखो,
कछ हम भी बदल कर देखे।।

मुमकिन हो सफर हो आसां..

माना की तुम्हारे पास काम बहुत है,
पर हम भी बेकार नही है।
कुछ तुम भी समझकर देखो,
कुछ हम भी समझकर देखे।।

मुमकिन हो सफर हो आसां..

अकेले तुम कब तक चलोगे,
अकेले हम कब तक चलेगे।
कुछ कदम तुम भी चलकर देखो,
कुछ कदम हम भी चलकर देखे।।

मुमकिन हो सफर हो आसां..

राहें आसान हो जाएंगी
मंज़िल भी करीब आ जाएगी।
सपने भी पूरे हो जाएंगे।
सम्बंध भी प्रगाढ़ हो जाएंगे।।

मुमकिन हो सफर हो आसां..

प्रियकां पान्डेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश

IMG_20201026_181457_1603717301.jpg
user-image
Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

सकारात्मक रचना

Priyanka Tripathi3 years ago

शुक्रिया?

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

सुंदर रचना..!

Priyanka Tripathi3 years ago

Thanku??

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद् आपका??

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

हादिँक आभार??

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Priyanka Tripathi3 years ago

सादर आभार सर?

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg