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अभिभूत - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अभिभूत

  • 193
  • 2 Min Read

मै अभिभूत थी तेरे प्यार में,
सोचती थी इसे कहां संजोऊ
रखूं किस दिल की तिजोरी में,
कैसे बचाऊं सबकी नज़रों से,
दिन पर दिन निखर ,
रही थी तेरे प्यार में ,
सोचती थी कैसे करू इजहार,
डरती थी दुनिया की निगाहों से,
चाहती थी छुपा लो एक नन्ही चिड़ियाँ की तरह
मुझे बांध लो उन मजबूत हाथों में ,
अफसोस तुम तो यू ही चले गये ,
जैसे भोर के आगमन पर चांद चला जाता है,
छोड़ जाता है याद भरा सपना

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 4 years ago

Sundar

Madhu Andhiwal4 years ago

Thanks

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

बढ़िया

Madhu Andhiwal4 years ago

Thanks

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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चालाकचतुर बावलागेला आदमी
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