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कभी बैठो पास तसल्ली से - Bhawna Sagar Batra (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

कभी बैठो पास तसल्ली से

  • 381
  • 4 Min Read

कभी खा म खां,कुछ बेवजह आओ पास मेरे ,
यूँ ही बेवजह करलो कुछ बातें,
दो वक्त कुछ पलों का मुझे ,
आओ कभी बैठो पास तसल्ली से ।

ठण्डी हवाओं का माहौल हो,
एक कप चाय और दो प्याली ,
उस आधे कप की चाय करदे
हर बात को पूरा ,
कुछ तुम सुनो कुछ मैं कहूँ ।

इतना सा वक्त दो मुझे
आओ कभी बैठो पास तसल्ली से ।

न आजू बाजू शोर हो,
न आस पास कोई और हो ।
हाथों में हो हाथ तुम्हारा ,
नज़रो में भरलो अपनी तुम मुझे ।
आओ कभी बैठो पास तसल्ली से ।

जिंदगी की भागदौड़,
और ज़िम्मेदारियों का बोझ
एक दूसरे के साथ साथ ,
खुद को भी भुला चुके होते है हम ।

कुछ वक्त निकालो मुझे देने के बहाने,
खुद के लिए और भरो चेहरे पर मुस्कान
एक फुर्सत से
आओ कभी बैठो पास तसल्ली से ।

कुछ पलों में आओ एक जिंदगी जी आए,
कुछ पलों के लिए खुद को नया सा पाए ,
कुछ पलों के लिए आओ एक दूसरे के हो जाएँ।

©भावना सागर बत्रा की कलम से
फरीदाबाद,हरियाणा

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर भाव

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

Nice

Bhawna Sagar Batra3 years ago

जी शुक्रिया

Amrita Pandey

Amrita Pandey 3 years ago

बहुत बढ़िया रचना। कभी-कभी ऐसा भी ज़रूरी है

Bhawna Sagar Batra3 years ago

जी बहुत ज़रूरी

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