कवितालयबद्ध कविता
*_कौन कहता खामोशी में बात नही होती ...._*
कौन कहता है बिन पतझड़ बरसात नही होती ...
देखा है हमने अपने आंखों में आंसुओ का सैलाब ...
जब किसी खास इंसान से रूबरू बात नही होती ...
कौन कहता खामोशी में बात नही होती ....
कौन कहता है चाँद बिन रात नही होती ...
जब किसी की खामोशी में उम्मीदे है जागती ...
तब आसमान से गिर जाता है तारा भी टूट कर ...
कौन कहता है खामोशी में बात नही होती ...
मिल जाए वो शख्स जो दिल मे छुपा है ...
रूह से रूह की मुलाकात हो जाती है ...
बाहों में हमसफर के लफ़्ज़ों की कोई कीमत नही होती ...
कौन कहता खामोशी में बात नही होती ....
*_मौलिक एवं स्वरचित_*
*_ममता गुप्ता ✍🏻_*
*_अलवर , राजस्थान_*