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एक कप चाय - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकलघुकथा

एक कप चाय

  • 742
  • 7 Min Read

*_~~~~~| एक कप चाय |~~~~_*

बस चाय बनकर तैयार थी , सभी को चाय देने के बाद जैसे ही रमा कप में चाय डालकर सुकून से पीने बैठी ही थी....तभी जोर से सासु माँ की आवाज आती है -" बहू मेरी पूजा की थाली तैयार कर दी क्या ?
हाँ ! "माँ जी बस अभी आपकी पूजा की थाली लेकर आई "...
रमा ने चाय से भरा कप टेबल पर रखते हुए कहा-

पतिदेव ने बैडरूम से आवाज़ लगाई ....!!!
अरे ! यार पूजा की थाली बाद में सजा देना मुझे ऑफिस जाने में देरी हो जाएगी पहले तुम मेरे कपड़े , घड़ी , टाई , फ़ाइल,सब सामान निकाल कर टेबल पर रख दो , पता तो है तुम्हे मैं लेट हो रहा हूँ ...
रमा पूजा की थाली को अधूरा छोड़कर पहले पतिदेव का सामान निकाल कर टेबल पर रखने लगी ।

दूसरी तरफ दोनो बच्चे चिल्लाने के कहने लगे ....
माँ अगर पापा 2 मिनट देरी से ऑफिस जाएंगे तो उन्हें कोई डाँटने वाला नही है । अगर हमें स्कूल में देरी हो गई तो डांट पड़ेगी इसलिए आप पहले हमारा टिफिन लगा दीजिए ।

रोजाना की तरह आज भी रमा बेचारी सभी के काम के चक्कर मे चाय को तो भूल ही गयी । वो एक कप चाय आज भी उसका इंतजार करती है कि रमा कब उसको सुकून से अपने लबो पर लगाकर के एक लंबी सी चुस्की लेगी औऱ कहेगी वाह क्या चाय है ।

*_अपनी एक कप चाय तक को छोड़ एक जान को कितने काम ..._*
*_सुबह जागने से ले कर सोने तक , नही है दो पल भी आराम ..._*
*_यह रमा हर घर मे मिलती है और हर सांचे में ढलती है ..._*
*_जिसे एक कप चाय तक सुकून से पीने नही मिलती है ..._*


*_ममता गुप्ता ✍🏻_*
*_अलवर , राजस्थान_*

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

Sunder Rachna ..!

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

thodi si editing aur kasavat ki jarurat hai kathanak acha hai

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Mamta Gupta3 years ago

धन्यवाद सर जी

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

कर्तव्यनिष्ठ रमा को 'सुकून से' एक कप चाय 'भी नसीब नहीं होती..! सबको अपना काम तुरंत चाहिए..! सुन्दर रचना..!

Mamta Gupta3 years ago

धन्यवाद सर जी

दादी की परी
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