कहानीसामाजिकलघुकथा
*_~~~~~| एक कप चाय |~~~~_*
बस चाय बनकर तैयार थी , सभी को चाय देने के बाद जैसे ही रमा कप में चाय डालकर सुकून से पीने बैठी ही थी....तभी जोर से सासु माँ की आवाज आती है -" बहू मेरी पूजा की थाली तैयार कर दी क्या ?
हाँ ! "माँ जी बस अभी आपकी पूजा की थाली लेकर आई "...
रमा ने चाय से भरा कप टेबल पर रखते हुए कहा-
पतिदेव ने बैडरूम से आवाज़ लगाई ....!!!
अरे ! यार पूजा की थाली बाद में सजा देना मुझे ऑफिस जाने में देरी हो जाएगी पहले तुम मेरे कपड़े , घड़ी , टाई , फ़ाइल,सब सामान निकाल कर टेबल पर रख दो , पता तो है तुम्हे मैं लेट हो रहा हूँ ...
रमा पूजा की थाली को अधूरा छोड़कर पहले पतिदेव का सामान निकाल कर टेबल पर रखने लगी ।
दूसरी तरफ दोनो बच्चे चिल्लाने के कहने लगे ....
माँ अगर पापा 2 मिनट देरी से ऑफिस जाएंगे तो उन्हें कोई डाँटने वाला नही है । अगर हमें स्कूल में देरी हो गई तो डांट पड़ेगी इसलिए आप पहले हमारा टिफिन लगा दीजिए ।
रोजाना की तरह आज भी रमा बेचारी सभी के काम के चक्कर मे चाय को तो भूल ही गयी । वो एक कप चाय आज भी उसका इंतजार करती है कि रमा कब उसको सुकून से अपने लबो पर लगाकर के एक लंबी सी चुस्की लेगी औऱ कहेगी वाह क्या चाय है ।
*_अपनी एक कप चाय तक को छोड़ एक जान को कितने काम ..._*
*_सुबह जागने से ले कर सोने तक , नही है दो पल भी आराम ..._*
*_यह रमा हर घर मे मिलती है और हर सांचे में ढलती है ..._*
*_जिसे एक कप चाय तक सुकून से पीने नही मिलती है ..._*
*_ममता गुप्ता ✍🏻_*
*_अलवर , राजस्थान_*
कर्तव्यनिष्ठ रमा को 'सुकून से' एक कप चाय 'भी नसीब नहीं होती..! सबको अपना काम तुरंत चाहिए..! सुन्दर रचना..!
धन्यवाद सर जी