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चूड़ीवाला - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीअन्य

चूड़ीवाला

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  • 6 Min Read

"ऐ चूड़ी वाले" रमा ने चूड़ीवाले को आवाज लगाते हुए कहा।
"जी बीवीजी"
"कैसी दी चूड़ियां"
"बीवीजी आप पहले देखो कितनी सुंदर सुंदर चूड़ियां है लाल गुलाबी हरी नीली सभी चूड़ियां है मेरे पास"
पीछे छुपी नीलू बाहर निकलकर बोली
"और मेरे लिये"
"तुम्हारे लिए भी है"
उसको जैसे ही हाथ लगाने को होता है, नीलू की माँ उसे पीछे खींच लेती है। चूड़ी वाला पीछे हट जाता है।
"बीवीजी ये लाल चूड़ियां आपके गोरे गोरे हाथों में जचेंगी ले लीजिये"
"अच्छा कितने की हैं"
"20 रुपया दर्जन"
20 रुपया इतना महंगा, लूट मचा रखी है क्या इससे सस्ते में तो मैं बाज़ार से ही ले आऊं।
“गरीब आदमी हूँ बीवीजी, इससे कम में मुझे खरीदी नही बचेगी”।
“इतने में देना है तो दो नही तो आगे जाओ”
थोड़ा उदास होकर
“ठीक है ले लीजिये बीवीजी बोहनी का समय है”
तभी फोन बजता है वही औरत फोन पर
“वाटरपार्क का टिकट बुक हो गया क्या? अच्छा टिकट थोड़ा महंगा पड़ रहा है कोई बात नही बुक कर दीजिये, घर मे क्या करेंगे छुट्टी है ना”
फोन रख पैसे निकालकर देकर चली जाती है। चूड़ी वाला उसी पैसे को माथे से लगाकर जेब मे रख लेता है गर्मी में बहता पसीना पोंछ... फिर आवाज लगाता है।
“चूड़ी ले लो चूड़ी हरि नीली पीली रंग बिरंगी बच्चे बुढ्ढी माये लड़की सबके लिए चूड़ी”-नेहा शर्मा

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी.. एक कटु सत्य.. हम छोटे दूकानदारों,रोज़ कमाने खाने वालों से आदतन मोलभाव करते हैं. वही माल्स, बड़ी दुकानों, पर हम उदार हो जाते हैं

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत बढ़िया... मेरी एक रचना बुढा आत्मसम्मान ..! वो भी कुछ इसी कथानक पर आधारित है पढ़ियेगा स्टोरी मिरर पर..

नेहा शर्मा3 years ago

जी शुक्रिया

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

दादी की परी
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