कविताअन्य
# 5 अक्टोबर
मुझे तू अपना सा लगता है
ना चाहू मैं कीमती बंगला
या मंहगी कारों का जलवा
जो घुमाए मुझको टमटम में
मुझे तू,,,,,,
ना मांगू मोती जड़ी हुई चूनर
और लहंगा भी भारी लहरदार तू लाए हरा लहरिया सादा सा
मुझे तू,,,,,,,
ना चाहू मोती के कंगन चूड़ी
या हाथों की जड़ाऊ पोचियां
जो देता सुंदर चांदी की मुंदरी
मुझे तू,,,,,
मुझसे दूर कभी ना होना प्रिये हर जनम में तू ही मुझे मिले
सदा सपनों में भी रहता मेरे
मुझे तू अपना सा लगता है
सरला