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मत करो जीवन नष्ट ये अद्भुत वरदान है - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मत करो जीवन नष्ट ये अद्भुत वरदान है

  • 464
  • 8 Min Read

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

क्यो करते हो आत्महत्या जैसा जघन्य पाप ...
क्या नही है तुम्हें अपनी जिंदगी से प्यार ...
जिंदगी के सुख दुख से हम सभी अनजान है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

क्यो जीवन अपना ऐसे ही बर्बाद करते हो ...
बड़े पूण्य से मिले इस मानव रूपी तन को ...
सूली पर लटक कर , करते परिवार को बदनाम है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

सभी में सहनशीलता का अभाव नजर आता है ...
नम्बर कम आना , प्यार , कर्ज ना चूक पाना ...
खुदकुशी के यही कारण दुनिया में जैसे महान है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

क्यो पीछे छोड़ जाते हो तुम अनगिनत सवाल ...
जिन सवालो का किसी के पास नही होते जवाब ...
क्या फायदा , टुटा जो परिवार का अरमान है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

क्यो भूल जाते हो बूढ़े माता पिता को ...
क्या होगी तुम्हारे बीवी बच्चो की व्यथा ...
तुम्हारे बिना उनके लिए सब शमशान है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

क्यों जीवन मे छोटी सी हार से निराश हो जाते हो ...
क्यो तुम अवसादग्रस्त विकारों के घेरे रहते हो ...
हिम्मत से लड़ो , वर्ना तुम्हारी सोच जरा नादान है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

जैसा चाहो मिल जाये यह मुमकिन तो नही है ...
चाहत को संधर्ष से पूरा करना मुश्किल तो नही है ...
दुखो से कर डटकर सामना , दिलाना खुद को सन्मान है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

जिंदगी से हार कर क्यो अपनी जान गवानी है ...
थोड़े प्रत्यन से थोड़े जतन से ज़िंदगी सफल बनानी है ...
जिंदगी जाने से बेहतर कुछ पल का अपमान है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

जिंदगी जीना आसान नही है लेकिन ...
दुनिया के डर से , खुद को कमजोर समझ कर ...
आत्महत्या करना किसी समस्या का समाधान नही है ...

*मत करो जीवन नष्ट , ये अद्भुत वरदान है ...*

ममता गुप्ता
अलवर (राजस्थान)

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Swati Sourabh

Swati Sourabh 4 years ago

समसामयिक कविता बहुत सुंदर रचना

Mamta Gupta4 years ago

जी धन्यवाद

Sushma Tiwari

Sushma Tiwari 4 years ago

बहुत ही भावपूर्ण और समसामयिक कविता। आज के समय में खासकर युवाओं में यह एक संक्रमण रोग की तरह फैला हुआ है। क्या जीवन सचमुच इतना सस्ता है कि छोटे-छोटे परेशानियों से हार मान ली जाए। कवित्री ने बस सारे भाव उजागर किए हैं जो ऐसा कदम उठाने वालों के घरवालों को झेलना पड़ता है। यदि सोचा जाए कि मां-बाप एक नन्हे जीव को किस मेहनत से पाल पोस कर कर अपने जीवन का एक-एक पल देकर बड़ा करते हैं पर मन से निर्बल होकर जब ऐसा कदम उठाते हैं तो उन परिवारों पर क्या बीतती होगी? ज्यादा से ज्यादा सजगता की जरूरत है इस विषय पर बात करने की जरूरत है तभी इन घटनाओं में कोई कमी आ पाएगी अच्छी रचना।

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

सुन्दर भाव..!

Mamta Gupta4 years ago

धन्यवाद सर जी

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