कवितालयबद्ध कविता
मैं जिंदगी हूँ,
हँस-हँस कर
मुझको जियो
तो दिल्लगी हूँ
वरना खुश्क आँसुओं के
मौन में सिमटी पीडा़ की
मनहूस सी एक मुँहलगी हूँ
मैं जिंदगी हूँ
कभी फूलों की ताजगी हूँ
ओस जैसी पाक सी हूँ
हवा सी आजाद सी हूँ
आकाश सी विशाल सी हूँ
अन्नपूर्णा धरा सी हूँ
एक नदी निश्छला सी हूँ
और कुछ लमहों में
सिमट कभी
बन जाती जरा सी हूँ
हर एक सुबह मैं
एक नया आगाज सी हूँ
एक फकीर से मन जैसी
एक रूहानी सादगी हूँ
जर्रे-जर्रे को रोशन करते
सूरज के एक नूरानी अंदाज सी हूँ
बचपन जैसी स्वच्छंद सी हूँ
सच्चे मन से दुआ माँगती
बंदगी हूँ
ममता से भीगा आँचल हूँ,
एक अभय हस्त बन,
बच्चे के गोरे चेहरे पर
लगे नजर के टीके का
काला काजल हूँ
आँखों का गंगाजल हूँ,
रोम-रोम को संत बनाता
प्रेम-वसंत बन महकाता
मन का पावन वृंदावन हूँ
पर्वत सी अटल प्रहरी हूँ
सागर सी अतल गहरी हूँ
पेड़ो जैसी मेहरबान हूँ
मैं माँ बनकर महान हूँ
बन पिता के आशीषों का एक साया,
बन जाती मैं सचमुच एक आसमान हूँ
गीता, गुरु ग्रंथ साहिब,
बाइबिल और कुरान हूँ
जिंदा हूँ तो
एक पूरा जहान हूँ
मगर आखिरी कदम तले
सुनसान सा श्मशान हूँ
लिखते आये है
ना जाने कितने
मुझ पर कुछ ना कुछ
आगे भी लिखा जाना है,
मुझ पर शायद बहुत कुछ
रच देता है जो भी चाहे
मुझको जैसे भी वेश में
शायरी, कविता, कहानी,
या फिर किसी भी लेख में,
जाने कितनी बार गयी
पढी़, लिखी, सुनी, गुनी हूँ
फिर भी लगता है अनपढी़,
अनलिखी, अनदेखी
और अनसुनी हूँ
अलबेली सी, अठखेली सी,
उलझी सी एक पहेली सी,
अनसुलझे रहस्यों के
धागों से मैं बुनी हूँ
शायद ही कह पाये कोई,
मेरी कहानी, मेरी जुबानी,
नाप सकेगा क्या कोई
मेरी लहरों की रवानी
शायद ही लिख पाये कोई,
मेरी इन उँगलियों के पोरों से,
पीछे, बहुत दूर छूटते,
होते ओझल,
मन को करते
फिर भी बोझल,
उस बिसरे से कल
और आगे दूर से,
बहुत ही दूर से
छलते, लूटते से कल,
मेरे इन दोनों छोरों के
बीच फँसे मेरे इस
आज के वजू़द के,
सागर की अनगिन बूँद से
सारे पहलू ढूँढ-ढूँढ के,
मेरी आँखों से चुराकर
यह थोडी़ सी नमी,
पूरी कर दे हर कमी
पलकों पे बिखरे,
आशा की आभा से निखरे,
सारे मोती समेटकर,
चुन-चुनकर सबको
एक-एक कर,
अहसासों की कलम में
उडे़लकर,
मनभावन सी एक इबारत
उकेरकर,
हटा दे धूल सभी
मायूसी की
जो मेरे उजले आईने पे
जाने कब से है जमी
मैं अनाम पा जाऊँ,
खूबसूरत सा एक नाम,
पा जाऊँ मैं एक
मुकम्मल सा अंजाम
हाँ, जाऊँ मैं खुद को पहचान,
पहचान सकूँ खुद का ही चेहरा
जिससे हूँ अब तक अनजान
द्वारा : सुधीर अधीर