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अबोली आँखें - कोमल सोनी (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अबोली आँखें

  • 381
  • 4 Min Read

' अबोली आँखें '

सुनो बच्चे !
ये तुम्हारी आँखें ,
' अबोली आँखें ' ,
कुछ न कहकर भी ,
कहती हैं बहुत कुछ ..

ये कहती हैं
तुम्हारे मन की
कशमकश को ।
सवालों में उलझी ,
जिज्ञासा की
अनवरत बहती धार को ..
कि क्या निराशाओं के
बादलों से बरसेगी ,
सुखरूपी अविरल बरसात ?

हाँ !
बयाँ करती हैं ,
तुम्हारे डर को ..
अनजाने भय को ..
क्या दुःख अभाव के
काले रंगों से घिरे
भविष्य में ,
एक सुरक्षित कोना ,
मिल पाएगा मुझे ,
जो लिख पाऊँ कभी
सुनहरी तहरीर को ...!

सुनो बच्चे !
निराश न होना तुम !
ये अबोली आँखें ही
संबल है तुम्हारा ..
तुम देखना सपने
आसमां को छूने के ,
कभी छोड़ना ना
दामन उम्मीदों के !
पलेंगे सपने आँखों में तो
पूरे भी जरूर होंगे !
हिकारत की निगाहें होंगी तो
दुआओं में उठे हाथ भी होंगे !
और देखना तुम
एक दिन ,
इन्हीं अबोली आँखों से ..
ये जहाँ मुट्ठी में
तो आसमां ,
ये चाँद सितारे
क़दमों में होंगे...!

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Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

सुन्दर... कृति

कोमल सोनी3 years ago

बहुत आभार चंपा जी

Mamta Gupta

Mamta Gupta 3 years ago

बहुत ही सुंदर रचना बालपन की अंबोली आंखे। कितने अच्छे से प्रकट किया है बालपन के सवालो को

कोमल सोनी3 years ago

आभार ममता जी

Sushma Tiwari

Sushma Tiwari 3 years ago

बाल मन के भावों को दर्शाती हुई बेहद खूबसूरत रचना। सच मासूम और अब बोली आंखें ना बोलते हुए भी कितना कुछ बोल जाती हैं बस वह आंखें चाहिए जो उनके भाव को पढ़ सकें। तुम देखना सपने आसमां को छूने का कभी छोड़ना ना दामन उम्मीद का, बहुत ही प्रभावशाली पंक्तियां हार्दिक बधाइयां

कोमल सोनी3 years ago

सुषमा जी आभार स्वीकारें

Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

बालक के मन की व्यथा का व बालक के मन मस्तिष्क में सकारत्मकता के संचार को रग-रग में उत्पन्न करने का एक अनुपम प्रयत्न किया गया है इस रचना में। निःसंदेह एक उत्कृष्ट काव्य सृजन।✍️??

कोमल सोनी3 years ago

संदीप जी आभार

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह

कोमल सोनी3 years ago

सरला जी बहुत आभार

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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