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ख्याल से हकीकत की कलम - Bhawna Sagar Batra (Sahitya Arpan)

कवितानज़्मअन्य

ख्याल से हकीकत की कलम

  • 309
  • 5 Min Read

"ख़्याल से हकीकत की कलम"

रात का अंधेरा, और बंद कमरे में मैं
खुद से करती हूँ सवाल
कि क्या सोना है मुझे ,
या जागकर लिखना है ??

लिखना है कुछ किस्सों को,
लिखना है कुछ कहानियों को,
लिखना है कुछ हकीकत को,
या फिर लिखना है कुछ सपनों को ।

फिर उठाती हूँ कलम,
बटोरती हूँ कागज़,
लाती हूँ कुछ ख़्याल ज़हन में, और
फिर सोचती हूँ कि क्या लिखूँ इस ख़्याल पर??

ख़्याल ये है कि मेरा लिखना ही बवाल है,
चंद लोगों के लिए, जो जानते है ये -2
कि मैं लिखती हूँ हकीकत ।
हाँ मैं लिखती हूँ हकीकत एक ख़्याल के ज़रिए ।

मैं महसूस करती हूँ हर उस ख़्याल को,
हर उस क्षण को जो मुझे खुशी देता है,
गम देता है, हँसी देता है, आँसू देता है ।
और महसूस कराता है हर भाव
और परिचित कराता है हकीकत से ।

और फिर उठाती हूँ कलम,
और लिख डालती हूँ हर उस ख़्याल को,
जो मेरा मिलन हकीकत से कराता है ।
और समय आने पर हकीकत हो जाता है ।

©भावना सागर बत्रा की कलम से

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Bhawna Sagar Batra3 years ago

शुक्रिया दीी ।

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

sunder abhivyakti

Bhawna Sagar Batra3 years ago

जी शुक्रिया।

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर..!

Bhawna Sagar Batra3 years ago

जी शुक्रिया ।

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