कविताबाल कवितालयबद्ध कविता
एक था चुन्नू एक थी मुन्नी
चुन्नू लाया सिपाही खिलौना।
लेकर आई गुड़िया मुन्नी।
रात को दोनो सो गए
सपनों में वो खो गए।
तभी चुन्नू ने सुनी आवाज
धीरे से गया दरवाजे के पास
जाकर देखा हक्का बक्का।
खिलौने बोल रहे थे पक्का।
भागा बहन के पास वो जैसे
उठा लाया उसको भी वैसे
अब डर से दोनो रहे थे कांप
खिलौनों में थी भरी आवाज।
सेल से दोनों चल रहे थे।
हैप्पी बर्थडे बोल रहे थे।
डर हुआ गायब देख उन्हें अब।
दोनों ने उठाया उनको हंसकर।
माँ पापा ने फिर केक कटवाया
धूम धाम से जन्मदिन मनाया। - नेहा शर्मा