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खिलौना - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताबाल कवितालयबद्ध कविता

खिलौना

  • 143
  • 3 Min Read

एक था चुन्नू एक थी मुन्नी
चुन्नू लाया सिपाही खिलौना।
लेकर आई गुड़िया मुन्नी।
रात को दोनो सो गए
सपनों में वो खो गए।
तभी चुन्नू ने सुनी आवाज
धीरे से गया दरवाजे के पास
जाकर देखा हक्का बक्का।
खिलौने बोल रहे थे पक्का।
भागा बहन के पास वो जैसे
उठा लाया उसको भी वैसे
अब डर से दोनो रहे थे कांप
खिलौनों में थी भरी आवाज।
सेल से दोनों चल रहे थे।
हैप्पी बर्थडे बोल रहे थे।
डर हुआ गायब देख उन्हें अब।
दोनों ने उठाया उनको हंसकर।
माँ पापा ने फिर केक कटवाया
धूम धाम से जन्मदिन मनाया। - नेहा शर्मा

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बढ़िया

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

सुन्दर रचना

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

अच्छा है

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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