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"जिंदा"
कविता
प्यार मोहब्बत जिंदाबाद by कुमार आशू
अहम
वो और मैं
एक दौर था जब मां जिंदा थी
*रिश्ते जिंदा हों*
किरदार जिंदा रहता है
*जिंदा अपने उसूल हैं*
जिंदा भी हैं के मरगए इतनी तो ख़बर रखो
जिंदा होने का अहसास हुआ
जिंदा रहना है
लोग अपने ऐब जिंदा रखते हैं
जिंदा ख्वाहिशों से जिंदगी की कहानी है
ज़रूर कोई दम है
बुरे को दोज़ख भी कम है
अभी जिंदा मेरा बचपन है
किरदार अमर कर जाते हैं
किरदार अमर होगा गर नियत जिंदा रहेगी
पता ही नहीं जिंदा हैं कि मर गए हम
मैं मर सा गया हूँ
जीने का हौसला जिंदा होना चाहिए
आदमी जिंदा कहाँ है आज आदमी
किरदार रहे जिंदा बेशक मर जाएं हम
किरदार जिंदा रहता है
कहानी
काश!रावण जिंदा होता
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