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"जाओ"
कविता
मैंने पूछा चाँद से
अतिथि, तुम कब जाओगे
ये जो मोहब्बत है
पृथ्वी (हाइकु)
हो जाओ तैयार साथियों
कल्पनातीत प्रणय मनुहार
मां की ममता
आ भी जाओ गौरैया
अतिथि, तुम कब जाओगे
प्रार्थना
स्वाभिमान
मैंने पूछा चाँद से
सबा से गुज़र जाओ
रंग जाओ दिल के रंग में
रंग जाओ दिल के रंग में
उम्मीद फिजाओं से
नृत्य काल कर रहा,भुजाओं में दो सर लिये
ढूंढते रह जाओगे
तुम रह जाओ टूटकर
खुद ही खर्च हो जाओगे
गैर लाज़िम को भूल जाओ
सदाओं में है ख़ामोशी
हम लौटकर नहीं आएंगे
दुश्मन के वार से पहले होशियार हो जाओ
कहानी
#गो करोना गो
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