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आत्महत्या - सु मन (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आत्महत्या

  • 205
  • 5 Min Read

१)
आत्महत्या करते हैं किसान
जब फसल सूख जाए,
समय पर ना मिले मुआवजा,
जमीन हो जाए बंजर,
ना चुका पाए कर्ज और
जमीन छिन जाने पर,
जीवन से श्रेष्ठ तब उन्हें मृत्यु लगती हैं।

२)
आत्महत्या करती हैं गृहणीयाँ
घरेलू हिंसा होने पर,
अस्तित्व की लडाइयाँ लड़ते हुए,
सामन्जस्य ना बना पाने पर,
सब सहन कर के भी
सम्मान ना पाने पर,
उनके मष्तिक में गहरे कही
रोपण कर दिया जाता हैं,
इस जीवन से बेहतर हैं मृत्यु।

३)
आत्महत्या करते हैं विद्यार्थी
अव्वल ना आने पर,
फेल होने के डर से
मनचाहा विषय नहीं मिला,
खुलकर अपना मत ना रख पाने पर।
रैगिंग होने पर
तब जीवन अंत आखरी रास्ता लगता हैं।

४)
हर आत्महत्या में
छुपी होती हैं एक हत्या
हत्या जो करते हैं
कुछ अपने ही, कुछ पराये भी,
कुछ शब्दों से भी करते हैं हत्या
छलनी कर देते हैं रुह तक,
हंसते चेहरों के पीछे छुपा दर्द
सीमाएं तोड देते हैं एक दिन
और होती हैं आत्महत्या
जो कि असल में एक हत्या हैं
आत्महत्या नहीं।



©® सुमन

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

यथार्थ

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

बिल्कुल सही

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

आपने यह पोस्ट डालकर आज सुसाइड प्रिवेंशन डे को बहुत अच्छे तरीके से समझा दिया। बहुत सुंदर रचना

सु मन4 years ago

आभार

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