लेखअतुकांत कविता
साक्षरता दिवस
आज हम सभी विश्व साक्षरता दिवस मना रहे हैं ।
और धीरे-धीरे मानवता
भूलते जा रहे हैं ।
क्या फायदा ऐसे किताबी ज्ञान का
जहां संवेदना ही मरती जा रही है।
किसी को परेशान देख हमारा दिल नहीं पसीजता
हम अपने अहम अपने स्वार्थ में ही सिमटते जा रहे हैं ।
आज साक्षरता के आंकड़े शत-प्रतिशत बढ़ते जा रहे हैं,
और मानवता के घटते जा रहे हैं।
साक्षर होने के बावजूद
आज भी एक बहू को 15 वीं सदी की कुरीतियों का शिकार होना पड़ता है ।
आज भी बेटियों की
हालत वही है,
जो 20 साल पहले थी ।
आखिर कब तक हम अपने मानसिक विकारों से समाज का शोषण करते रहेंगे
कब तक?
किसी को सड़क पर खून से
लथपथ देख उसे उठाकर अस्पताल पहुंचाने के बजाय
हम विडियो बनाने लगते हैं।
क्यूं मरती जा रही है इंसानियत,
आज भी बेटियां कूड़े के ढेर में
मिलती है
मैं पूछती हूं आखिर कब तक?
अंजनी त्रिपाठी
स्वरचित मौलिक
07/09/2020
एकदम जबरदस्त कटाक्ष के साथ रचना सच में ऐसे ज्ञान का क्या फायदा जो किसी का भला हो न कर सके