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तुम्हें कब मना किया है - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

तुम्हें कब मना किया है

  • 421
  • 4 Min Read

तुम्हें कब मना किया है

किसी से प्रेम करने को
तुम्हें कब मना किया है
लेकिन!प्यार करना तुम .....
किसी से प्यार करना
कहाँ गलत है....?

बस....!इतना ध्यान रहे
कि प्यार में अंधे हो कर
अपनों को नहीं भूलें......
उन्हें भी उतना ही प्यार दें.........
जितना अपनी प्रेमिका को
प्यार देते हो........!!

प्रेम ये भी नहीं कहता कि
कि तुम मेरे साथ प्रेम करोगे तो
जो मुझसे पहले तुम्हारे अपने थे
उनको छोड़ दो
उनको भूल जाओ......!

अगर प्रेम ऐसा चाहता है कि
वो सबको छोड़ दे तो
वहां प्रेम कैसे हो सकता है...?
वहाँ सिवाय हवस के
ओर कुछ नहीं है.
प्रेम तो बिल्कुल भी नहीं हो सकता........!!

संदीप चौबारा
फतेहाबाद
०५/०९/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

औसत

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर रचना अच्छा लिखते हैं आप

Sandeep Chobara4 years ago

तहेदिल से शुक्रिया जी

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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माँ
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