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"ज़िन्दगी के पल" - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

"ज़िन्दगी के पल"

  • 295
  • 4 Min Read

शीर्षक: "ज़िन्दगी के पल"

हाँ.. मुझे याद है, ज़िन्दगी से मैंने, दो पल चुराये थे
एक पल, जी भर हँसी, दूजे पल आँसू बहायें थे

वक़्त के पेड़ से लटका है, हर एक पल
जो टूट कर गिरा, बस उसी के साये थे

राहतें सुकूँ है, मेरे हिस्से, हर वो पल आये थे
जो कभी दर्द में डूबे,तो कभी होंठो पर मुस्काये थे

बन कर मेरी जीवन की अग्नि-परीक्षा
कभी मुझसे, तो कभी मेरे हौसलों से टकराये थे

अभी ज़िन्दगी के हर पल में जीना बाकी है
न सोच सिर्फ इसमें दर्द ही गहराये थे

अभी तो ज़िन्दगी, हम खुद बच्चे से लगते है
वक़्त-ऐ-दरख़्त के फल कच्चे से दिखते हैं

बन कर हँसी बिखरेंगे, लम्हात सभी एक दिन
जो इस पल में, अपने गम सजाये थे

सिमटना बाकी है, खुशी का दामन में अभी
बेशक इस पल, मेरे हिस्से दर्द समाये थे..!

©️✍

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

बहुत खूबसूरत..!

Poonam Bagadia4 years ago

शुक्रिया सर

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

अच्छा लिखा

Poonam Bagadia4 years ago

जी धन्यवाद...

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