कवितालयबद्ध कविता
उड़ान
उड़ना है जरूरी...
अगर उड़ेंगे नहीं तो
ऊंचाई तक पहुंचोगे कैसे
उड़ना है जरूरी.....
जरा.... देखो ना
इन पंछियों को कभी
उड़ना छोड़ती ही नहीं
पता है उन्हें भी....
मैं भी शिकार बन
सकती हूं किसी का
फिर भी उड़ना नहीं छोड़ती
उड़ना है जरूरी......
अगर शिकारी है तो
मददगार भी होगा जरूर
बस उड़ना मत छोड़ना
उड़ना है जरूरी......
शुरुआत में थोड़ी परेशानी होगी
फिर धीरे-धीरे सीख लोगे
उड़ने और बचने का अंदाज
उड़ना है जरूरी......
उड़ोगे नहीं तो जीवन का
आनंद कैसे लोगे....
उड़ोगे तभी तो जीवन के
रंग-बिरंगे रूप देख पाओगे
उड़ना है जरूरी.....
अगर उड़ने से डर गए
तो फिर जियोगे कैसे
एक ही तो जीवन है
तो फिर किस बात का डर
उड़ना है जरूरी.....
कोई पर काटेंगे तो
कोई तो होगा जो
मरहम भी लगाऐगा
बस तू उड़ना मत छोड़
उड़ना है जरूर......
तूफान आएंगे पर
उन तूफानों से लड़ना
भी है जरूरी....
खुद को मजबूत
करने के लिए
उड़ना है जरूरी......
उड़ने में जो मज़ा है.....
वह दुबक के बैठने में नहीं है
उनके पास तो सिर्फ पंख है
तुम्हारे पास तो सभी औजार है
अगर पंख काट भी दे कोई
तो फिर से बना सकते हो
पंख उड़ने के लिए....
तो उड़ना है जरूरी......
ऐसा उड़ की एक दिन
पर काटने वाला भी
आकर कहे.....
मुझे उड़ने का अंदाज
सिखा दे.......दोस्त !
@champa यादव
3/9/20
Jaru mam.....AAP ka lekhn mujhe bahut achha lagta hai.....jaru padangi...
सुन्दर रचना..!
Bahut bahut Shukriya....sir...