लेखनिबन्ध
मंदिर....
"कहते हैं लोग कुछ
ईश्वर ! कहां है किसी ने देखा है
मैं कहती हूं। ईश्वर! को देखा नहीं
महसूस किया जाता है.....
एक अदृश्य शक्ति के रूप में
ईश्वर ! जिसको आप
जिस रूप में मान लो....."
कभी-कभी इंसान का मन बहुत बेचैन हो जाता है और उसे समझ में नहीं आता। कि वह कहां जाएं क्या करें। तभी सिर्फ मंदिर कहे या ईश्वर का घर या पवित्र स्थान। जहां जाकर आपको अजीब-सी शांति का एहसास होता है। जहां आप सारी समस्या का हल ईश्वर के पास रख कर समाधान मांग सकते हैं......
मंदिर एक ऐसी जगह है जहां मन शांत हो जाता है अजीब सी रौनक है वहां। जहाँ जाकर सुकून-सा मिलता है। कहते हैं इस धरती में माता-पिता के बाद एक डॉक्टर ही है जो हमारी मदद करता है और जब हमारे हाथ में कुछ भी नहीं होता है तो सिर्फ एक ईश्वर! ही है जो हमें रास्ता दिखाता है......
अपनी मन की बात उनके समक्ष रख दो.....फिर देखना उसका हल खुद ही ढूंढ देंगे।....... विश्वास, श्रद्धा और भक्ति का रूप है ईश्वर ! जब हमें कहीं शांति न मिले । तो एक ईश्वर ! का ही दरबार है जहां आपको शांति मिल सकती है और कहीं नहीं.....
जहां रंग बिरंगे फूलों की महक, अगर कपूर की खुशबू, ईश्वर के रूप.... जिसे देखकर मानो ऐसा लगता है कि कुछ अदृश्य शक्ति विराजमान है वहां । जो हमें शक्ति देती है मुसीबतों से लड़ने के लिए....!
"बस मान लो.......
और सौंप दो ! अपने दुख-दर्द
विश्वास रखो, उस शक्ति पर
ना होगा छल, आपके साथ
करेंगे कल्याण ! आपका
बस जो दे .....
उसे स्वीकार कर लो
ईश्वर ! का प्रसाद मानकर....
उपकार है ईश्वर ! का हम पर बहुत
हम हैं उनकी संतानेंं.....
अगर भूल कोई हो, तो माफ कर देगेंं
समझ कर नादान......
करते हैं ....आपको हम
शत- शत नमन.....!!!"
@champa यादव
२/९/२०
BAHOT SUNDER POST ..! ISHWAR KA SACHHA SWARUP..!!
Shukriya....sir