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आज मैंने एक रोते हुए बच्चे को हँसा दिया - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

आज मैंने एक रोते हुए बच्चे को हँसा दिया

  • 195
  • 5 Min Read

आज मैंने रोते हुए एक 
बच्चे को हँसा दिया
एक चाकलेट का पैकेट देकर
अपने दिल में कुछ खुशनुमा से 
अहसासों का साज बजा दिया

उसके लिए ये छोटा सा 
एक तोहफा था
मेरे लिए खुश रहने का
एक खूबसूरत मौका था

उस चेहरे पर एक
दिव्य सी मुस्कान थी
उस की छवि उस समय
बालकृष्ण के समान थी

मासूमियत एक नूर बनकर
चेहरे पर बरस रही थी,
मेरे मन की बगिया में
हर एक कली हरष रही थी

उस वामन में जैसे
सिमटा एक विराट था
वह बच्चा था,
मन का सच्चा था 
मनमौजी सा
अपनी ही दुनिया का
लगता एक सम्राट था

उसकी इस शान ने,
देवतुल्य पहचान ने,
एक विलक्षण ज्ञान ने
मेरे मन के हर 
खालीपन को भर दिया

एक रूहानी अहसास से,
एक अनजानी सी आस से 
जिंदगी को बंदगी सा कर दिया

मेरे लिए यह खुशनुमा,
खूबसूरत इत्तफाक था

सचमुच कितनी नूरानी सी,
सचमुच कितनी रूहानी सी
एक दुआ सी सोच सा,
फूलों पर ढलकती ओस सा
सचमुच कितना पाक था

आप मानें या ना मानें
वो लमहा मेरे लिए
ना जाने क्यूँ
इतना खास था

खुदा की सारी खुदाई,
बनकर जैसे एक परछाई,
एक सुहाना सा अहसास
मेरे आस-पास था

द्वारा : सुधीर अधीर

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण 👌🙏

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण स्रजन..! 🙏

Anil Mishra Prahari

Anil Mishra Prahari 2 years ago

Bahut sunder.

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