कविताबाल कविता
शीर्षक: "कॉमिक्स की दुनिया" (बाल-रचना)
बचपन की उस दुनिया में, "एलिस" भरमाई थी
कार्टूनिस्ट प्राण की "पिंकी" भी मन मेरे मुस्काई थी
नही भूले "चाचा चौधरी" के किस्से अब तक
हर किस्से में एक नई सीख समाई थी
"चंपक" वन की अनोखी दुनिया ने
प्रीत सभी से करना सिखाई थी
"सुमन- सौरभ" की वो सभी कहानी
बन बचपन जेहन में उतर आई थी
पढ़ "पराग", जैसे पुल्कित मन मे
हर्ष की खुशबू लहराई थी
खो कर बचपन मे, आज मैंने
दुनिया फिर नई सजाई थी
शाका लाका बूम बूम पेंसिल से
न जाने कितनी विश बनाई थी
"मोटू-पतलू", लंबू "नागराज"और "बिल्लू" की कॉमिक्स
सभी की याद दिल में जगाई थी
"नन्दन" की प्यारी सी दुनिया
मैं सोच कर फिर हरषाई थी
रूठा बचपन लगा अब लौटने
बन सिंड्रेला, मैं फिर शरमाई थी
बचपन की उस दुनिया मे, "एलिस" भरमाई थी
कॉर्टूनिस्ट प्राण की "पिंकी"भी मन मेरे मुस्काई थी
©️पूनम बागड़िया "पुनीत"
( नई दिल्ली)
स्वचित मौलिक रचना
अत्यंत सुन्दर..! सभी मनोहारी और आकर्षक बाल साहित्य..!
सादर आभार सर जी... जी सर मेरी प्रिय बाल साहित्य पुस्तकें है...