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कहानी
नीनू का सपना
दीवाली के लिए मम्मा रोज ही मिठाइयां बनाती और ऊँची रेक पर रख देती।नीनू ललचा कर जब भी मांगती,
माँ फटकार देती,"बिलकुल नहीं,सब भोग के बाद।" नीनू
बेचारी एक रात मिठाई का सोचते सोचते सो जाती है।
सपने में देखती है,,,वह एक अनूठे पार्क में चहलकदमी कर रही है।पेड़ो पर फलों के साथ मिठाइयां भी लटक रही हैं।रसगुल्ले,गुलाबजामुन आदि और उसकी मनपसन्द रंगबिरंगी टॉफियां।नीनू सोचती है,"पहले सब देख लूँ,फिर खाती हूँ।"
ज्यों ही वह सामने देखती है,"अहा ,शिकंजी के ताल में इमरती की नौका,मजा आ गया।" नीनू झट से कुल्फियों की पतवारें थाम सोचती है,
"काश,सहेलियां भी साथ होती।"
नीनू ऊपर देख चिल्ला पड़ती है,"अहा,आकाश है कि केशरिया दूध का बड़ा सा कटोरा।अरे,ये तारे सारे रसगुल्ले कैसे बन गए।"
अब नीनू सोचती है कि आराम से एक एक करके मिठाइयां खाती हूँ। तभी उसे लगता है कोई परी आकर उससे कह रही है,"चलो नीनू मैं तुम्हें खिलाती हूँ।" अरे यह क्या ,,,मम्मा की आवाज़ ,
"उठो गुड़िया, पूजा करना है ना।" नीनू बेचारीआँखें मलती
भागती है बाथरूम की ओर।
सरला मेहता