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नीनू का सपना - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकअन्य

नीनू का सपना

  • 212
  • 5 Min Read

बाल रचना प्रतियोगिता हेतु
कहानी
नीनू का सपना

दीवाली के लिए मम्मा रोज ही मिठाइयां बनाती और ऊँची रेक पर रख देती।नीनू ललचा कर जब भी मांगती,
माँ फटकार देती,"बिलकुल नहीं,सब भोग के बाद।" नीनू
बेचारी एक रात मिठाई का सोचते सोचते सो जाती है।
सपने में देखती है,,,वह एक अनूठे पार्क में चहलकदमी कर रही है।पेड़ो पर फलों के साथ मिठाइयां भी लटक रही हैं।रसगुल्ले,गुलाबजामुन आदि और उसकी मनपसन्द रंगबिरंगी टॉफियां।नीनू सोचती है,"पहले सब देख लूँ,फिर खाती हूँ।"
ज्यों ही वह सामने देखती है,"अहा ,शिकंजी के ताल में इमरती की नौका,मजा आ गया।" नीनू झट से कुल्फियों की पतवारें थाम सोचती है,
"काश,सहेलियां भी साथ होती।"
नीनू ऊपर देख चिल्ला पड़ती है,"अहा,आकाश है कि केशरिया दूध का बड़ा सा कटोरा।अरे,ये तारे सारे रसगुल्ले कैसे बन गए।"
अब नीनू सोचती है कि आराम से एक एक करके मिठाइयां खाती हूँ। तभी उसे लगता है कोई परी आकर उससे कह रही है,"चलो नीनू मैं तुम्हें खिलाती हूँ।" अरे यह क्या ,,,मम्मा की आवाज़ ,
"उठो गुड़िया, पूजा करना है ना।" नीनू बेचारीआँखें मलती
भागती है बाथरूम की ओर।
सरला मेहता

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

अदभुत

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर

Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 4 years ago

बहुत ही प्यारी रचना

दादी की परी
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