कवितालयबद्ध कविता
शीर्षकः
"बदलते- माएने"
कोई कहता है, और कोई सुना जाता है फ़सानो में।
कोई बुनता है ,और कोई बुना जाता है ख्वा़बों में।।
"कहानियों " की भी अपनी अलग दास्तां है दोस्तों।
किसी पर बीतती है तो कंही गढ़ी जाती है शब्दों में ।।
कोई चाहता है टूट कर, कोई चाहा जाता है सांसों में डूब कर।
कभी आंखें बरसती झूम कर, कभी लब मुस्कुराते हैं चूम कर।।
जिंदगी के भी अपने अलग-अलग फ़साने हैं जनाब।
कोई है इसे जीता भर दम, तो कोई 'सिर्फ़' जी लेता है।।
सीमा वर्मा