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क्यूंकि तू ग़म है... - Amrita Pandey (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

क्यूंकि तू ग़म है...

  • 215
  • 2 Min Read

इत्तेफाक है महज़, मुझसे मिलना तेरा
मैं खिलखिलाती सुबह, तू घनी रात का डेरा,
मैं गुनगुनाती धूप, तू तम-स्याह  का घेरा
मैं आस की किरण, तू निशा-तृष्णा का बसेरा,
नहीं जानता मुस्कुराना, गीत गाना, गुनगुनाना
मैं सुकून भरी रात, तू आंसू का सिरहाना,
मिल ही जाता है सरेराह, जिधर भी जाती हूं
मुस्कुरा कर फिर भी तुझे हराती हूं,
सारे जहां की खुशियां तुझ पर वार दूं तो भी कम है
क्योंकि तू ग़म है.. ।

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत ख़ूब..!

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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