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दोहे - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितादोहा

दोहे

  • 212
  • 2 Min Read

दोहा

प्रेम के रंग में जगी, रुकी रही ये रात
पिया मिलन की आस में, बनी नही ये बात - नेहा शर्मा

इश्क़ इश्क की बात में, इश्क न बोले बोल
घुल गया रंग इश्क का, हया न कोई तोल - नेहा शर्मा

वसुंधरा बिखरी छटा, लेय घटा मन मोह
फैले पंख मयूर के, भूल गए सब बिछोह - नेहा शर्मा

पायल की झनकार से, बजे गीत मल्हार
खिल जाएं कलियां सभी, छेड़ें दिल के तार - नेहा शर्मा

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 2 years ago

मुझे पढ़ते हुए, श्री कृष्ण याद आ गए। काश कभी मैं भी ऐसा कुछ लिख सकूं,

नेहा शर्मा2 years ago

तुम बहुत ऊपर का लिखती हो। अगर यह विधा सीखने की बात है तो मैं सीखा दूँगी जब कहो तब

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

सुन्दर लेखन..!

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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